India News (इंडिया न्यूज),Rajasthan News: राजस्थान हाईकोर्ट में पीड़िता के वकील ने बताया कि पीड़िता 27 महीने 6 दिन की गर्भवती है। वो नाबालिग है और इसके माता पिता गर्भपात कराने के लिए सहमत है। हमने कोर्ट बहस के दौरान बताया कि ऐसे कई मामले हैं, जहां देश के कई हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट 28 महीने की गर्भवती को भी गर्भपात की अनुमित दे चुके हैं। मामले में कोर्ट ने मेडिकल बोर्ड से पीड़िता की जांच कर रिपोर्ट मांगी थी। जिसमें कहा गया कि गर्भपात किया जा सकता है। उसमे हाई रिस्क नहीं है।
मानसिक स्वास्थ्य के लिए गंभीर क्षति माना जाएगा
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि कोर्ट ने कहा कि रेप पीड़िता अंवाछित बच्चे को जन्म नहीं देना चाहती है। वहीं मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्रेंसी एक्ट 1971 में भी कहा गया है कि रेप के कारण गर्भवती होने पर गर्भावस्था में होने वाली पीड़ा को गर्भवती महिला के मानसिक स्वास्थ्य के लिए गंभीर क्षति माना जाएगा। कोर्ट ने कहा कि बच्चे को जन्म देने से पीड़िता के मानसिक स्वास्थ्य को गंभीर क्षति पहुंचने का अनुमान है। इसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। अदालत ने महिला चिकित्सालय सांगानेर की अधीक्षक को निर्देश भी दिया कि वो मेडिकल बोर्ड से पीड़िता का गर्भपात कराने की व्यवस्था करें।
कोर्ट से अनुमति लेने पड़ती है
आपको बता दें कि अगर भ्रूण जीवत पाया जाता है तो उसे जीवत रखने के इंतजामात किए जाए। राज्य सरकार भविष्य में उसके पालन पोषण का खर्च करेगी और अगर भ्रूण जीवित नहीं हो तो भ्रूण से टिशू लेकर डीएनए रिपोर्ट के लिए उसे संरक्षित रखा जाएं। बता दें कि एक दूसरे मामले में कोर्ट पहले भी ये बता चुकी है कि मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्रेंसी एक्ट 1971 में कहा गया है, कि 24 हफ्ते की प्रेग्नेंसी से पहले गर्भपात के लिए अदालत की अनुमति की जरूरत नहीं होती है। इसके बाद कोर्ट से अनुमति लेने पड़ती है।
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