India News (इंडिया न्यूज), इस बार प्रयागराज महाकुंभ में राजस्थान के नागौर जिले से भारी संख्या में श्रद्धालु शामिल हो रहे हैं। धर्म विशेषज्ञों के अनुसार, 144 वर्षों बाद महाकुंभ में छह शाही स्नानों का दुर्लभ संयोग बना है, जो इसे और खास बना रहा है। नागौर के संत समाज और श्रद्धालु महाकुंभ की पवित्रता में डुबकी लगाने के लिए प्रयागराज रवाना हो चुके हैं।

नागौर की अनोखी तैयारी

रामस्नेही संप्रदाय की रेण पीठ और खेड़ापा पीठ के संत पहले ही संगम नगरी पहुंच चुके हैं। नागौर के भक्तों के लिए ठहरने और भोजन की व्यवस्था के लिए टेंट सिटी बनाई गई है। नागौर से 4650 थालियां, कपड़े के थैले और अन्य सामग्री संगम नगरी पहुंचाई गई हैं।

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संत जानकीदास की नशा मुक्त अन्नक्षेत्र व्यवस्था

रामस्नेही खेड़ापा पीठ के संत जानकीदास ने महाकुंभ में अन्नक्षेत्र शुरू किया है, जो जूना अखाड़ा के पास सेक्टर-18 में स्थित है। यह अन्नक्षेत्र पूरी तरह नशा मुक्त होगा, जहां साधु-संत और भक्त निशुल्क भोजन और आवास की सुविधा का लाभ ले सकेंगे।

महामंडलेश्वर कुशालगिरी की पेशवाई की तैयारी

पंच दशनाम आह्वान अखाड़ा ने संगम तट से डेढ़ किमी दूर अन्नक्षेत्र लगाया है, जहां प्रतिदिन 1000 लोगों के भोजन की व्यवस्था की गई है। 27 जनवरी को भव्य पेशवाई निकाली जाएगी, जिसमें गदा, ध्वज और तलवार के प्रदर्शन के साथ कड़ी सुरक्षा में आयोजन किया जाएगा।

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श्रद्धा और सेवा का संगम

महाकुंभ में नागौर जिले के संतों और श्रद्धालुओं ने सेवा और भक्ति का जो अद्भुत उदाहरण पेश किया है, वह सभी के लिए प्रेरणा है। 45 दिनों तक चलने वाले इस महाकुंभ में नागौर और राजस्थान के श्रद्धालु धर्म, आस्था और सेवा के इस महासंगम का हिस्सा बनेंगे।