India News Rajasthan (इंडिया न्यूज़), Ajab Gajab: राजस्थान अपने रहन-सहन और स्वाद के लिए तो कुछ ज़्यादा ही मशहूर है, यहाँ के स्थानीय समाज के रीति-रिवाज़ भी हैं। राज्य के माउंट आबू इलाके के गाँवों में रहने वाले आदिवासी समुदाय में लड़कियों की शादी को लेकर ऐसी परंपरा है जिसके बारे में जानकर हर कोई हैरान रह जाएगा। भले ही हम इन्हें पिछड़ों की कतार रखते हैं लेकिन इनकी ये खास और पुरानी परंपरा पढ़े-लिखे और शिक्षित समाज की कल्पना से कहीं आगे है।

अजीबो- गरीब परंपरा

दरअसल, हमारे समाज में आज भी लड़कियों को अपना वर या वधू चुनने की आजादी नहीं है और प्रेम विवाह और भागकर विवाह करना एक बड़े अपराध के तौर पर देखा जाता है। माउंट आबू में नक्की झील पर पीपल के पेड़ पर जहां हर साल आदिवासी समुदाय द्वारा मेला लगाया जाता है, वहीं यहां स्वयंवर की अनूठी धार्मिक रस्म का आयोजन किया जाता है, जिसमें लड़की के समुदाय को दूल्हे की गुलामी से पूरी आजादी होती है। लेकिन इसका अंदाज भी उतना ही खास है।

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क्या है ऐतिहासिक परंपरा

इस पुरानी और ऐतिहासिक परंपरा की बात करें तो यहां आदिवासी समुदाय की लड़कियां स्वयंवर के दौरान अपनी पसंद का साथी चुनती हैं। इस दौरान समुदाय के लोग भी मौजूद होते हैं और उनकी सहमति भी होती है। सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि हर लड़की सबसे पहले दूल्हे से शादी करने से पहले अपने पिता की इजाजत लेती है। फिर पिता को माला पहनाई जाती है। । इसके बाद ही लड़की अपने मन पसंद लड़के के गले में माला डालती है।

लड़के से पहले पिता को पहनानी पड़ती है माला

इस शादी के लिए सबसे पहले पिता अपनी पसंद के कुछ लड़कों को चुनता है और उन्हें एक जगह खड़ा कर देता है। जिसके बाद लड़की को पिता के आदेशानुसार किसी को चुनना होता है। लेकिन इसके बाद भी अगर लड़की को कोई पसंद नहीं आता तो वो अपनी पसंद के लड़के से शादी कर सकती है और वहां से भाग सकती है।

माना जाता है कि इस खास परंपरा के पीछे सदियों से चली आ रही एक प्रेम कहानी है। आज भी आदिवासी समुदाय के लोग इस परंपरा को मानते है। यहां लड़कियां पहले अपनी पिता को माला पहनाती है फिर लड़के को माला पहनाती है। इस परंपरा से हर कोई दंग रह जाता है। ये जानकारी सूत्रों के आधार पर शेयर की गई है। इसका अर्थ किसी भी जाती धर्म की भावनाओं को ठेस पहुंचाना नहीं है।