India News (इंडिया न्यूज), Holi Special 2025: जिले में स्वयं सहायता समूहों से जुड़ी 50 महिलाएं हर्बल गुलाल तैयार कर रही हैं। बता दें कि यह गुलाल पूरी तरह से प्राकृतिक उत्पादों से बना है, जिससे न केवल लोगों को केमिकल-मुक्त रंग मिलेंगे, बल्कि इन महिलाओं को आर्थिक फायदा भी मिलेगा। बता दें, होली के अवसर को देखते हुए, 5 स्वयं सहायता समूह मिलकर 500 किलो हर्बल गुलाल तैयार कर रहे हैं। अब तक इनके द्वारा 300-400 किलो गुलाल तैयार कर बाजार में सप्लाई भी किया जा चुका है।
हर महिला को अच्छी आमदनी हो रही है
आपको बता दें कि गुलाल का निर्माण करने वाली महिलाओं ने बताया है, कि उनके द्वारा जब रंग बनाना होता है, तो हरे रंग का गुलाल पालक से और गुलाबी रंग चुकंदर के जूस से, पीला रंग गेंदे के फूल, और नारंगी रंग मौसमी के छिलके से बनाते हैं। राजीविका के सहयोग से चल रही इस पहल में हर महिला को अच्छी आमदनी हो रही है।
महिलाओं को सीधे आर्थिक लाभ मिल रहा है
इस हर्बल गुलाल का उत्पादन 180 रुपए प्रति किलो में हो रहा है, जबकि बाजार में यह 250-280 रुपए प्रति किलो में बिक रहा है। इससे महिलाओं को सीधे आर्थिक लाभ मिल रहा है और होली पर लोगों को रासायनिक रंगों से बचाव का एक बेहतर विकल्प भी। महिलाएं हर्बल गुलाल तैयार कर राजीविका के अधिकारियों से मिलकर बाजारों तक पहुंचती हैं, और बैंकों सहित अनेक सरकारी कार्यालय में भी इनके गुलाल की बिक्री की जाती है।
शरीर की त्वचा को खराब कर देता है
बाजार में मिलने वाले केमिकल वाले रंग स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकते हैं। ऐसे में हर्बल गुलाल न सिर्फ त्वचा के लिए सुरक्षित है, बल्कि पर्यावरण के लिए अनुकूल भी है। महिलाओं का कहना है कि बाजार में जो गुलाल आता है, उनमें केमिकल होता है, वह शरीर की त्वचा को खराब कर देता है। आगे वे कहती हैं, कि इनमें कई प्रकार के हानिकारक केमिकल भी कभी-कभी मिला दिए जाते हैं, जिसके चलते होली खेलने वाले लोगों के शरीर पर कई बार कई प्रकार के रोग हो जाते हैं।
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