India News (इंडिया न्यूज़), Jaipur Foundation Day: जयपुर, जिसे प्यार से “गुलाबी नगरी” कहा जाता है, सिर्फ एक शहर नहीं है, बल्कि यह राजस्थान की समृद्ध कला, संस्कृति और वास्तुकला का प्रतीक है। इसकी हर गली, हर बाजार, और हर तीज-त्योहार अनूठी संस्कृति की कहानी बयां करते हैं। जयपुर शहर की स्थापना 18 नवंबर, 1727 को महाराजा सवाई जयसिंह द्वितीय ने की थी। इस वर्ष जयपुर अपना स्थापना दिवस बड़े धूमधाम से मनाने जा रहा है। इस अवसर पर, ग्रेटर नगर निगम द्वारा भगवान गणेश की पूजा से शुरुआत होगी, जो इस शहर की धार्मिक और सांस्कृतिक परंपराओं का प्रतीक है।
सांस्कृतिक और धार्मिक आयोजन
गज पूजन में सैकड़ों महिलाएं लाल साड़ी पहनकर भगवान गणेश की आरती करेंगी। जयपुर की नींव रखे गए स्थान गंगापोल गेट पर विशेष पूजा की जाएगी। शहर के आराध्य गोविंद देवजी मंदिर में भगवान की आराधना होगी। शाम को सवाई जयसिंह द्वितीय के सम्मान में स्टैच्यू सर्किल पर दीपदान और नगाड़े-शहनाई की धुन के बीच पूरे शहर को सजाया जाएगा।
मांडना और स्वच्छता प्रतियोगिता
इस अवसर पर शहर की सुंदरता बढ़ाने के लिए मांडना प्रतियोगिता का आयोजन किया जाएगा। इसमें प्रतिभागी राइजिंग राजस्थान और स्थानीय कला के मांडना बनाएंगे। 21 नवंबर से स्वच्छता सप्ताह की शुरुआत होगी, जिसमें हर जोन में वार्ड स्तर पर स्वच्छता प्रतियोगिताएं होंगी।
वास्तुकला और ऐतिहासिक धरोहर
जयपुर की वास्तुकला में वास्तुशास्त्र और खगोलशास्त्र का विशेष ध्यान रखा गया था। शहर में कई ऐतिहासिक स्थल हैं, जैसे: अपनी अनूठी खिड़कियों और झरोखों के लिए प्रसिद्ध। राजपूताना स्थापत्य कला का अद्भुत नमूना। शहर का अद्भुत दृश्य प्रस्तुत करता है। खगोल विज्ञान की प्राचीन धरोहर, जिसे यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल किया गया है।
जयपुर की कला, संस्कृति और व्यंजन
जयपुर का हर पहलू उसकी सांस्कृतिक विरासत को दर्शाता है। यहां के बंधेज की साड़ियां, लाख की चूड़ियां, और कुंदन के आभूषण दुनियाभर के पर्यटकों को आकर्षित करते हैं। राजस्थानी व्यंजन जैसे दाल बाटी चूरमा , केर-सांगरी, और घेवर का स्वाद हर किसी को मंत्रमुग्ध कर देता है। घूमर और कालबेलिया नृत्य की ताल, तीज के झूले और त्योहारों की धूम यहां की संस्कृति को और भी रंगीन बनाती है।
आधुनिकता और विकास
जयपुर ने अपनी पारंपरिक विरासत को सहेजते हुए आधुनिकता को भी अपनाया है। स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट, जयपुर मेट्रो, और आईटी सेक्टर के कारण यह शहर तेज़ी से विकसित हो रहा है। पर्यटन स्थलों की संख्या बढ़ने और यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल होने के कारण, हर साल लाखों पर्यटक यहां आते हैं।
जयपुर न केवल अपनी ऐतिहासिक धरोहर और सांस्कृतिक परंपराओं को जीवित रखे हुए है, बल्कि आधुनिकता की दौड़ में भी अग्रणी बना हुआ है। यही कारण है कि यह शहर अपने आप में एक जीवंत कहानी है, जो सदियों से अनगिनत रंगों और परंपराओं को समेटे हुए है।
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