India News (इंडिया न्यूज),Rajasthan News: राजस्थान के अलवर जिले की अरावली विहार थाना पुलिस को 2 साल पहले जो बच्ची काला कुआं इलाके में घूमती हुई मिली थी, उसकी मंगलवार को उपचार के अभाव में मौत हो गई। चाइल्डलाइन ने इस बच्ची की कस्टडी आरती बालिका गृह  को दी हुई थी। पिछले 2  साल बच्ची यहीं पर हंसी-खुशी रह रही थी। लेकिन 31 जनवरी को जब 12 साल बच्ची की अचानक उसकी तबीयत खराब हुई तो उसे अलवर जिले के सरकारी अस्पताल में भर्ती करवाया गया।  डॉक्टर्स ने जब उसकी जांच की तो MRI में ब्रेन टीबी की पुष्टि हुई।  इसके तुरंत बाद बच्ची को वेंटिलेटर पर शिफ्ट कर दिया गया, साथ ही जयपुर रैफर करने की सलाह दी गई।

गंभीरता नहीं दिखाई

आरती बालिका गृह के संचालक चेतराम सैनी ने 4 साल से अनुदान नहीं मिलने की बात कहते हुए इस काम में देरी की। हालांकि वे लगातार बाल कल्याण विभाग के सहायक निदेशक रविकांत को सहायता के लिए चिट्ठी लिखते रहे और उनसे फोन पर भी बात करते रहे। लेकिन अधिकारी ने कोई गंभीरता नहीं दिखाई।  ऐसे में उपचार के अभाव में बच्ची प्रियंका ने दम तोड़ दिया। उसका शव 3 दिन तक मोर्चरी में रख रहा।

अधिकारी से पूछने की क्या जरूरत पड़ गई?

आरती बालिका गृह के खिलाफ पहले से ही इकोनॉमिक ऑफेंस का मुकदमा दर्ज है। फिर चाइल्डलाइन ने ऐसे बालिका गृह को प्रियंका की कस्टडी कैसे दे दी? इस घटना में उठने वाला ये सबसे बड़ा सवाल है।  दूसरा सवाल यह है कि जब राजस्थान सरकार ने नि:शुल्क उपचार की सुविधा उपलब्ध करवा रखी है तो जयपुर ले जाने के लिए अधिकारी से पूछने की क्या जरूरत पड़ गई?