India News (इंडिया न्यूज), Rajasthan Education News: राजस्थान की शिक्षा में जल्द ही बड़ा बदलाव होने जा रहा है। हाल ही में राजस्थान के शिक्षा मंत्री ने मदन दिलावर ने एक अहम घोषणा की है, जिसमें उन्होंने कहा है कि मदरसा बोर्ड में ड्रेस कोड लागू किया जाएगा। इसके अलावा मिड डे मील योजना में अनियमितताओं की जांच की जाएगी। शिक्षा मंत्री ने आगे कहा कि स्कूल समय में कोई भी धार्मिक गतिविधि नहीं होगी, चाहे वह नमाज हो या बालाजी पूजा।

स्कूलों में पढ़ाया जाएगा महाराणा प्रताप का पाठ

इसी के साथ उन्होंने महाराणा प्रताप को लेकर भी बड़ा बयान दिया है, जिसमें उन्होंने कहा है कि स्कूलों में महाराणा प्रताप के जीवन और योगदान के बारे में भी पढ़ाया जाएगा। कोविड-19 महामारी के दौरान शिक्षा विभाग ने अभिभावकों के खातों में राशि ट्रांसफर करने के बजाय खाद्य सामग्री वितरित करने का निर्णय लिया था, जिसके लिए 59.81 लाख छात्र पात्र थे, लेकिन सामग्री 66.22 लाख छात्रों को वितरित की गई। इस विसंगति ने अनियमितताओं को लेकर चिंता जताई है।

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तो वहीं, शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने बड़ा खुलासा करते हुए कहा कि CAG रिपोर्ट के मुताबिक, सामग्री खरीद टेंडर में 1,705 करोड़ रुपये के घोटाले की बात सामने आई है। इसके अलावा मदरसा बोर्ड में गणवेश वितरण में हुए भ्रष्टाचार की गहनता से जांच कराई जाएगी। दिलावर ने राजस्थान में हर बच्चे को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सुनिश्चित करने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता दोहराई है। राजस्थान के शिक्षा मंत्री ने मंगलवार को विधानसभा में घोषणा करते हुए कहा था कि राज्य में आयोजित रीट परीक्षा और प्री डीएलएड परीक्षा सफलतापूर्वक संपन्न हुई।

उन्होंने आगे कहा कि रीट परीक्षा में 13.77 लाख अभ्यर्थी शामिल हुए और किसी भी तरह की अनैतिक गतिविधि की सूचना नहीं मिली। इसी तरह प्री-डीएलएड परीक्षा (2024) भी सफलतापूर्वक आयोजित की गई। इसके अलावा दिलावर ने घोषणा की कि सदन ने प्रारंभिक शिक्षा के लिए 218.82 अरब रुपये और माध्यमिक शिक्षा के लिए 288.30 अरब रुपये की अनुदान मांगों को ध्वनिमत से पारित कर दिया है।

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राज्य के सभी स्कूल एक ही रंग में रंगे जाए

शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने आगे कहा है कि सभी स्कूलों को एक ही रंग से रंगा जाएगा। इसके अलावा उन्होंने पेपर चेकिंग सिस्टम में नवाचारों की घोषणा की, जिसमें री-टोटलिंग और री-चेकिंग सिस्टम शुरू किया जाएगा। पेपर लीक और नकल माफिया को रोकने के लिए यह कदम उठाया गया है। माध्यमिक शिक्षा बोर्ड परीक्षा के पेपर अब अलग-अलग विशेषज्ञों द्वारा सेक्शन वाइज तैयार किए जाएंगे। इसके अलावा राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत प्राथमिक शिक्षा मातृभाषा या स्थानीय भाषा में दी जाएगी।