India News (इंडिया न्यूज), Rajasthan Grape Plan: दिल्ली-NCR में बढ़ते वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (grape) लागू किया जाता है। इसके तहत जब वायु गुणवत्ता बेहद खराब होती है, तो निर्माण कार्यों पर प्रतिबंध लगा दिया जाता है। इससे हजारों निर्माण श्रमिकों की रोजी-रोटी प्रभावित होती है। इसी मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान सरकारों को निर्देश दिया है कि वे प्रभावित श्रमिकों को मुआवजा दें।
क्या कहा सुप्रीम कोर्ट ने?
शीर्ष अदालत की जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस उज्जल भुइयां की पीठ ने साफ किया कि भले ही अदालत की ओर से अलग से कोई आदेश न दिया जाए, फिर भी राज्य सरकारों को श्रमिकों को मुआवजा देना ही होगा। कोर्ट ने यह भी कहा कि श्रम उपकर (Labour Cess) के रूप में जो धन एकत्र किया जाता है, उसे इस उद्देश्य के लिए इस्तेमाल किया जाए।
राज्यों की रिपोर्ट क्या कहती है?
कोर्ट को सुनवाई के दौरान विभिन्न राज्यों ने बताया कि वे मुआवजा देने की प्रक्रिया में लगे हुए हैं-
हरियाणा- ग्रेप-4 के पहले चरण में 2,68,759 श्रमिकों को और दूसरे चरण में 2,24,881 श्रमिकों को मुआवजा दिया गया।
दिल्ली- 93,272 निर्माण श्रमिकों को मुआवजा दिया गया, जबकि शेष श्रमिकों के सत्यापन की प्रक्रिया जारी है।
राजस्थान- केवल 3,197 श्रमिकों को ही मुआवजा मिला है।
उत्तर प्रदेश- तीन चरणों में क्रमश 4,88,246, 4,84,157 और 691 श्रमिकों को मुआवजा दिया गया।
निर्माण श्रमिकों की कठिनाइयां
जब भी ग्रेप लागू किया जाता है, तो बड़ी संख्या में श्रमिकों की रोजी-रोटी प्रभावित होती है। कई बार उन्हें महीनों तक बेरोजगारी का सामना करना पड़ता है। सुप्रीम कोर्ट ने पहले भी दिल्ली सरकार को इस मुद्दे पर फटकार लगाई थी और सभी राज्यों को निर्देश दिया था कि वे श्रमिकों के लिए निर्वाह भत्ता तय करें।
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि 2024 और 2025 में जब भी ग्रेप के कारण निर्माण गतिविधियां रुकेंगी, तो राज्य सरकारों को श्रमिकों को मुआवजा देना होगा। यह मुआवजा देने के लिए अब अलग से कोर्ट का आदेश जरूरी नहीं होगा।
क्या हुई अन्य मांगें?
निर्माण श्रमिक संघों की ओर से मांग की गई कि ग्रेप-3 और ग्रेप-4 के दौरान गैर-प्रदूषणकारी निर्माण कार्यों को जारी रखने की अनुमति दी जाए। हालांकि, कोर्ट ने इस मांग को मानने से इनकार कर दिया। सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला उन हजारों निर्माण श्रमिकों के लिए राहत लेकर आया है जो हर साल ग्रेप के कारण काम बंद होने से प्रभावित होते हैं। अब राज्य सरकारों की जिम्मेदारी होगी कि वे प्रभावित श्रमिकों को समय पर मुआवजा दें ताकि वे आर्थिक संकट से बच सकें।
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