India News (इंडिया न्यूज), Rajasthan High Court: राजस्थान हाईकोर्ट ने एक अहम आदेश जारी करते हुए स्पष्ट किया है कि किसी भी कर्मचारी को 30 दिनों से अधिक एपीओ पर नहीं रखा जा सकता। जानकारी के अनुसार कोर्ट ने यह भी कहा कि एपीओ को ट्रांसफर या दंड के रूप में उपयोग नहीं किया जा सकता।

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डॉ. दिलीप सिंह चौधरी समेत 56 याचिकाकर्ताओं को राहत

बताया गया है कि, इस मामले में याचिकाकर्ता डॉ. दिलीप सिंह चौधरी ने कोर्ट में अपनी स्थिति स्पष्ट की। उन्होंने बताया कि वे 2015 से चिकित्सा अधिकारी के पद पर कार्यरत थे। छह साल की सेवा के बाद उन्हें भोपालगढ़ में वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारी के पद पर नियुक्त किया गया। इसके अलावा 19 फरवरी 2024 को उन्हें एपीओ कर दिया गया ताकि 3 साल की सेवा वाले जूनियर चिकित्सा अधिकारियों को वरिष्ठ पदों पर नियुक्त किया जा सके। ऐसे में, इस फैसले के खिलाफ डॉ. चौधरी समेत 56 याचिकाकर्ताओं ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी, जिस पर कोर्ट ने सरकार के एपीओ आदेश पर रोक लगाते हुए उन्हें राहत दी।

कोर्ट का सख्त रुख: एपीओ ट्रांसफर या सजा नहीं

दूसरी तरफ, हाईकोर्ट के जस्टिस अरुण मोंगा की एकलपीठ ने इस फैसले में कहा कि एपीओ का उपयोग किसी कर्मचारी को दंडित करने या ट्रांसफर के उद्देश्य से नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने मुख्य सचिव को नए प्रशासनिक आदेश जारी करने के निर्देश भी दिए। राज्य सरकार ने कोर्ट में अपना पक्ष रखते हुए कहा कि एपीओ का आदेश प्रशासनिक आवश्यकता और जनहित को ध्यान में रखते हुए जारी किया गया था। लेकिन कोर्ट ने सरकार की दलील को ठुकराते हुए साफ कर दिया कि एपीओ की अवधि 30 दिन से अधिक नहीं हो सकती।

जानिए फैसले का असर

इस फैसले से राजस्थान में सरकारी कर्मचारियों के अधिकारों की रक्षा हुई है। अब कोई भी कर्मचारी अनिश्चितकाल के लिए एपीओ पर नहीं रखा जा सकेगा। इसके अलावा, राज्य सरकार को प्रशासनिक फैसलों में पारदर्शिता लाने की सख्त हिदायत दी गई है। देखा जाए तो, राजस्थान हाईकोर्ट का यह फैसला सरकारी कर्मचारियों के हितों की सुरक्षा में एक अहम कदम है। इससे एपीओ का दुरुपयोग रोकने में मदद मिलेगी और कर्मचारियों को बिना किसी अनुचित देरी के उनकी नई पोस्टिंग मिल सकेगी।

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