India News (इंडिया न्यूज), Rajasthan Vidhan Sabha: राजस्थान विधानसभा में प्रश्नकाल के दौरान लिखित उत्तर पढ़ने को लेकर करीब आठ मिनट तक बहस चली। बता दें, मामला तब उठा जब विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने व्यवस्था दी कि प्रश्नकाल में जो लिखित उत्तर पहले ही सदस्यों को मिल चुका है, उसे दोबारा पढ़ने की आवश्यकता नहीं है। उनका तर्क था कि ऐसा करने से सदन का समय बचेगा।

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समझिए पूरी खबर

इस व्यवस्था पर मतभेद सामने आए। शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने बहस में भाग लेते हुए कहा कि लिखित उत्तर पढ़ा जाना जरूरी है। ऐसे में, उन्होंने तर्क दिया कि यह विधानसभा की परंपरा रही है और इससे विषय अधिक स्पष्ट होता है। वहीं, संसदीय कार्य मंत्री जोगाराम पटेल ने सदन के नियमों की किताब दिखाते हुए कहा कि उसमें भी लिखित उत्तर पढ़ने का उल्लेख है। दूसरी तरफ, नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने भी इस पर टिप्पणी की और कहा कि पूर्व में भी इस विषय पर सदन में स्पष्ट व्यवस्था दी गई है। वन मंत्री संजय शर्मा भी चर्चा में शामिल हुए और सदन में अपनी राय रखी। बिगड़ते माहौल को देखते हुए स्पीकर देवनानी ने सभी विधायकों को शांत कराते हुए कहा कि प्रश्न पूछने वाला सदस्य यदि संतुष्ट है, तो वह सीधे पूरक प्रश्न पूछ सकता है और लिखित उत्तर पढ़ना आवश्यक नहीं है।

जानें स्पीकर का जवाब

इसके जवाब में स्पीकर ने कहा कि सोमवार को सदन की स्वीकृति से यह तय हो चुका है कि प्रश्न का लिखित उत्तर सदस्यों को उपलब्ध हो जाने पर उसे पढ़ने की जरूरत नहीं है। लेकिन संसदीय कार्य मंत्री जोगाराम पटेल ने विरोध जताते हुए कहा कि सभी सदस्यों को लिखित उत्तर समय पर नहीं मिलता, जिससे कई बार जानकारी अधूरी रह जाती है। साथ ही, जब उत्तर सदन में नहीं पढ़ा जाता तो मंत्री का जवाब रिकॉर्ड में नहीं आता, जिससे पारदर्शिता प्रभावित होती है।

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