India News (इंडिया न्यूज),Ajmer Sharif Dargah Dispute: राजस्थान की अजमेर शरीफ दरगाह को शिव मंदिर बताने वाली हिंदू सेना की याचिका को निचली अदालत ने स्वीकार कर लिया है। हिंदू सेना की ओर से विष्णु गुप्ता ने यह याचिका दायर की है। याचिका दायर करने के बाद विवाद बढ़ गया है। मुस्लिम पक्ष इसका विरोध कर रहा है।
विष्णु गुप्ता ने अपनी याचिका में कहा है, “संकटमोचक महादेव मंदिर, जिसे आज अजमेर शरीफ दरगाह के नाम से जाना जाता है, दरअसल भगवान शिव का मंदिर था। मुगल आक्रांताओं ने उस मंदिर को तोड़कर अजमेर शरीफ दरगाह बनवाई। सुनवाई की अगली तारीख 20 दिसंबर 2024 है। किताब 1910 में लिखी गई थी। जब सर्वे होगा तो सब सामने आ जाएगा।”
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तहखाना बंद कर दिया गया है- याचिकाकर्ता
विष्णु गुप्ता ने दावा किया है कि वे नीचे का तहखाना नहीं खोल रहे हैं। ब्रिटिश शासन के दौरान वहां पूजा करने का अधिकार था लेकिन अब उसे नहीं खोला जा रहा है। वहां भगवान शिव का मंदिर है। पूजा स्थल अधिनियम को खत्म करने के लिए अर्जी दाखिल की गई है क्योंकि यह हमारे मौलिक अधिकारों का हनन करता है।
आपको बता दें कि निचली अदालत ने दरगाह से जुड़े तीनों पक्षों को नोटिस जारी कर 20 दिसंबर को सुनवाई की तारीख तय की है. जबकि मुस्लिम पक्ष याचिका स्वीकार किए जाने का विरोध कर रहा है, वहीं इस मामले में ऑल इंडिया सूफी सज्जादानशीन परिषद के अध्यक्ष सैयद नसरुद्दीन चिश्ती का भी बयान आया है। उन्होंने अदालत के फैसले की आलोचना की है। उन्होंने इसे धार्मिक सद्भाव के खिलाफ बताया है।
कोर्ट ने इन्हें भेजा नोटिस
यह कोर्ट का घटनाक्रम ऐसे समय में हुआ है जब यूपी के संभल में एक मस्जिद के सर्वे के दौरान हिंसक झड़प हुई थी। कोर्ट ने केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय, एएसआई और अजमेर दरगाह कमेटी को नोटिस जारी किया है। वहीं, अंजुमन कमेटी के सचिव सरवर चिश्ती ने इस मामले में कहा कि अजमेर शरीफ अनेकता में एकता का प्रतीक है। इसे मानने वाले करोड़ों लोग हैं। हम रोज-रोज होने वाले इस तमाशे को बर्दाश्त नहीं करेंगे।