इंडिया न्यूज, Ajmer News। International Sufi Rang Mahotsav-2022: लोकमत मीडिया के संपादकीय बोर्ड के अध्यक्ष और राज्यसभा के पूर्व सदस्य विजय दर्डा को अजमेर में चिश्ती फाउंडेशन द्वारा आयोजित अंतर्राष्ट्रीय सूफी रंग महोत्सव-2022 में ग्लोबल पीस अवार्ड से सम्मानित किया गया। देश और मानवता के लिए उनके उत्कृष्ट नेतृत्व और सेवा के लिए दर्डा को यह पुरस्कार प्रदान किया गया।
यह परंपरा किसी भी तरह की कट्टरता का विरोध करती है : दर्डा
पुरस्कार प्राप्त करने के बाद सम्मानित सभा को संबोधित करते हुए, दर्डा ने सूफी परंपरा की सराहना करते हुए कहा कि यह वैश्विक भाईचारे, सद्भाव, एकता, प्रेम, शांति और सहिष्णुता का संदेश देती है। उन्होंने कहा कि यह परंपरा किसी भी तरह की कट्टरता का विरोध करती है। अंतर्राष्ट्रीय सूफी रंग महोत्सव और कार्यक्रम का आयोजन दरगाह अजमेर शरीफ के गद्दी नशीन और चिश्ती फाउंडेशन के अध्यक्ष हाजी सैयद सलमान चिश्ती ने किया था।
15 सालों से किया जा रहा सूफी रंग महोत्सव का आयोजन
दर्डा ने कहा कि भारत में आस्था के पवित्र केंद्र अजमेर शरीफ से सदियों से विश्व शांति का संदेश दिया जा रहा है। दर्डा ने कहा, “अंतर्राष्ट्रीय सूफी रंग महोत्सव-2022 पिछले 15 वर्षों से अजमेर शरीफ की समृद्ध आध्यात्मिक परंपरा में स्वर्णिम अध्याय जोड़ रहा है। इसके लिए हाजी सैयद सलमान चिश्ती और उनके सहयोगी प्रशंसा के पात्र हैं।”
शांति के दूत थे महान सूफी संत हजरत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती
दर्डा ने आगे कहा कि यहीं से महान सूफी संत हजरत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती ने सदियों पहले शांति, सद्भाव, सहिष्णुता और भाईचारे का संदेश दिया था। वे सच्चे अर्थों में शांति के दूत थे। सूफी दर्शन ईश्वर की अनन्य पूजा और मन और आत्मा की पवित्रता पर जोर देता है।
उन्होंने कहा कि सूफी संतों ने अपनी शिक्षाओं, अपने कार्यों, अपने आचरण और अपने साहित्य के माध्यम से किसी भी तरह की कट्टरता का विरोध किया है। सूफी संत सदियों से समाज में शांति और सद्भाव का संदेश देते रहे हैं। उन्होंने कहा कि विश्व शांति में भारत की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है। भारत ने विश्व को अहिंसा, सद्भाव और करुणा का संदेश देने वाले भगवान महावीर और भगवान बुद्ध जैसे विश्व नेता दिए हैं।
‘वसुधैव कुटुम्बकम’ के सिद्धांत पर आधारित है भारत की संस्कृति
भारत की संस्कृति ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ के सिद्धांत पर आधारित है, यानी पूरा विश्व एक परिवार है। यहां प्रेम और सद्भाव की धारा अंतहीन बहती है, नफरत फैलाने वाले तत्व उसके सामने टिक नहीं पाते। इसके अलावा दर्डा ने यह भी कहा कि कुछ ही लोग हैं जो नफरत फैलाते हैं। उन्होंने कहा, “अगर हम एकजुट हो गए तो वे समाप्त हो जाएंगे।”
पुष्कर तीर्थ और अजमेर शरीफ सांप्रदायिक सौहार्द की मिसाल
दर्डा ने कहा कि विभिन्न धर्म एक दूसरे के साथ सद्भाव से रह सकते हैं। राजस्थान में पुष्कर तीर्थ और अजमेर शरीफ जैसे विश्व प्रसिद्ध तीर्थस्थल सदियों से सांप्रदायिक सौहार्द की मिसाल पेश करते रहे हैं। उन्होंने बताया कि ‘लोकमत’ ने 24 अक्टूबर 2021 को नागपुर में एक अंतर्धार्मिक सम्मेलन का आयोजन किया था। इस सम्मेलन में देश-विदेश के प्रख्यात धर्मगुरुओं ने दुनिया को शांति और सद्भाव का संदेश दिया। इसी तरह चिश्ती फाउंडेशन द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में भी मैं साम्प्रदायिक सौहार्द और सहिष्णुता का वही प्रवाह आगे बढ़ते हुए देख रहा हूं।
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