India News इंडिया न्यूज), Water Supply Issue: इंदिरा गांधी कैनाल, जो कि करीब 200 किलोमीटर से अधिक लंबी है, राजस्थान के 15 जिलों – हनुमानगढ़, श्रीगंगानगर, बीकानेर, जोधपुर और जैसलमेर सहित में कृषि एवं पेयजल आपूर्ति का मुख्य स्रोत है। जानकारी के अनुसार, इस कैनाल पर नहरबंदी की जाती है, जिसमें कम पानी को नहर में छोड़कर उसकी मरम्मत की जाती है। पहले यह प्रक्रिया अप्रैल में होती थी, लेकिन अब इसे फरवरी में ही कर दिया गया है। इस कारण फरवरी में केवल 3000 क्यूसेक पानी सिर्फ पेयजल के लिए निर्धारित किया गया है, जिससे सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध नहीं हो रहा है और गेहूं की फसल सूखने लगी है।
जल संकट में लगातार बढ़त
बताया गया है कि, भाखड़ा व्यास मैनेजमेंट बोर्ड ने फरवरी महीने के लिए राजस्थान को इंदिरा गांधी नहर से केवल 3000 क्यूसेक पेयजल देने की मंजूरी दी है। साथ ही, गंग कैनाल में 1400 क्यूसेक, भाखड़ा में 850 क्यूसेक, सिद्धमुख नोहर में 500 क्यूसेक और खारा प्रणाली की नहरों में सिर्फ 200 क्यूसेक पानी उपलब्ध रहेगा। ऐसे में, यह निर्णय राज्य के उन जिलों में जल संकट को और गंभीर बना रहा है, जहाँ कृषि के साथ-साथ पेयजल की आपूर्ति भी निर्भर है। दूसरी तरफ, किसानों का कहना है कि अगर जल्दी सिंचाई जल की व्यवस्था नहीं की गई तो गेहूं समेत अन्य फसलों पर विपरीत प्रभाव पड़ेगा। इस साल कमजोर मानसून और भाखड़ा तथा पौंग बांध के जलस्तर में गिरावट के कारण राजस्थान के पानी के हिस्से में कटौती करनी पड़ी है।
पानी की आपूर्ति बहाल करने की मांग
हिमालय से आने वाली नदियों में भी पानी की कमी के कारण थार रेगिस्तान तक इसके भारी प्रभाव नजर आ रहे हैं। ऐसे में, किसान सरकार से जल प्रबंधन के वैकल्पिक उपाय निकालने एवं सिंचाई के लिए पानी की आपूर्ति बहाल करने की मांग कर रहे हैं। यदि केवल पेयजल को बचाया जाता है, तो खेती की समस्याएँ बढ़ेंगी और पश्चिमी राजस्थान में सूखे की स्थिति और विकट हो सकती है।