SAI Training Centre Bengaluru: भारत के टॉप लॉन्ग डिस्टेंस रनर Avinash Sableने विश्व चैंपियनशिप 2025 और डायमंड लीग में अपने प्रदर्शन को लेकर तैयारियों की जानकारी दी। इस दौरान उन्होंने SAI ट्रेनिंग सेंटर, बेंगलुरु की सुविधाओं की जमकर सराहना की और भारत में खेलों के बदलते माहौल पर भी खुलकर बात की।
विश्व चैंपियनशिप पर पूरा फोकस
ओलंपिक के बाद लगभग 7-8 महीनों का ब्रेक लेने के बाद साबले अब पूरी तरह से अपनी ट्रेनिंग में जुटे हुए हैं। “इस सीज़न में हमने दो-तीन प्रतियोगिताएं खेलीं और अब हमारा पूरा ध्यान स्पीड पर है। हम विश्व चैंपियनशिप के लिए लक्ष्य बना चुके हैं,” उन्होंने कहा।
SAI बेंगलुरु की सुविधाएं अंतरराष्ट्रीय स्तर की
साबले ने इस साल विदेश जाकर ट्रेनिंग न करने की वजह भी स्पष्ट की। “मैंने कई देशों में ट्रेनिंग की है, लेकिन जितनी सुविधाएं SAI बेंगलुरु में मिलती हैं, वो कहीं नहीं। डाइट, रिकवरी, स्मार्ट ट्रैक – सब कुछ एक ही जगह मौजूद है। इसलिए इस बार मैं बाहर नहीं गया।” उन्होंने बताया कि बाहर अगर ट्रेनिंग अच्छी मिलती है, तो डाइट या रिकवरी में समझौता करना पड़ता है, लेकिन यहां SAI में सभी चीज़ें बैलेंस में हैं।
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भारतीय खेलों की बदलती तस्वीर
“पहले देश में सिर्फ क्रिकेट को ही बढ़ावा मिलता था, लेकिन अब एथलेटिक्स और अन्य ओलंपिक स्पोर्ट्स को भी पहचान मिल रही है। युवा खिलाड़ी अब दौड़, जंप जैसे खेलों में भी आ रहे हैं,” साबले ने कहा। उनका मानना है कि सीनियर एथलीट्स की जिम्मेदारी है कि वो स्टैंडर्ड सेट करें ताकि नई पीढ़ी प्रेरित होकर आगे बढ़े।
2007 से अब तक SAI में बड़ा बदलाव
साबले ने बताया कि वह पहली बार 2007 में SAI आए थे और तब से अब तक बहुत कुछ बदल चुका है। “नई स्मार्ट ट्रैक बन गई है, रिकवरी सेंटर बना है, डेटा एनालिसिस हो रहा है – ये सब पहले नहीं था। आज की पीढ़ी को बहुत अच्छी सुविधाएं मिल रही हैं। हमारे सीनियर्स कहते हैं कि उनके समय यह सब नहीं था।”
प्रधानमंत्री से मिलना, एक बड़ा मोटिवेशन
उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के समर्थन की भी सराहना की। “हर बड़ी प्रतियोगिता से पहले पीएम हमसे बात करते हैं, मोटिवेट करते हैं। जब हम प्रतियोगिता से लौटते हैं तो हमें बुलाते हैं, सम्मानित करते हैं। इससे हमें बहुत प्रेरणा मिलती है।”
आगे की राह
अविनाश साबले इस समय वर्ल्ड चैंपियनशिप 2025 को लेकर बेहद गंभीर हैं। SAI बेंगलुरु की बेहतरीन सुविधाएं, सरकार का समर्थन और उनकी खुद की मेहनत – इन सबके दम पर वह भारतीय एथलेटिक्स को नई ऊंचाईयों पर ले जाने के लिए तैयार हैं।
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