India News (इंडिया न्यूज), IND vs AUS 3rd Test: ऑस्ट्रेलिया में शानदार शुरुआत के बाद भारतीय टीम बेरंग नजर आने लगी है। एडिलेड में हार के बाद ब्रिसबेन में टीम इंडिया की हालत खराब है. ब्रिसबेन में खेले जा रहे तीसरे टेस्ट में ऑस्ट्रेलिया ने 445 रन बनाए। ऑस्ट्रेलिया की पारी के दौरान भारतीय खिलाड़ियों के कंधे झुके हुए नजर आए। इसे देखकर हरभजन सिंह से लेकर चेतेश्वर पुजारा ने कहा कि ऐसा लग रहा है कि भारतीय खिलाड़ी खुद कुछ करने के बजाय दूसरों की गलती का इंतजार कर रहे हैं।
शानदार रही शुरुआत
भारत ने पहले टेस्ट मैच में ऑस्ट्रेलिया को 295 रनों से हराया था। भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच तीसरा टेस्ट ब्रिसबेन में खेला जा रहा है. पहले दिन का खेल लगभग बारिश के नाम रहा। दूसरा दिन ऑस्ट्रेलिया के नाम रहा. मेजबान टीम ने दूसरे दिन का खेल खत्म होने तक 7 विकेट पर 405 रन बना लिए थे। तीसरे दिन जब खेल शुरू हुआ तो उम्मीद थी कि भारत आक्रामक खेल दिखाकर ऑस्ट्रेलिया को जल्दी आउट करने की कोशिश करेगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
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रणनीति पर भी उठ रहे सवाल
भारत ने मैच के तीसरे दिन जसप्रीत बुमराह और रवींद्र जडेजा से गेंदबाजी शुरू कराई। यह तब था जब दोनों बाएं हाथ के बल्लेबाज क्रीज पर थे- एलेक्स कैरी और मिशेल स्टार्क। जब जडेजा गेंदबाजी कर रहे थे, तब सिर्फ एक स्लिप ली गई। जब गेंद सिर्फ 30 ओवर पुरानी थी, तब हरभजन सिंह और चेतेश्वर पुजारा को यह बात पसंद नहीं आई कि दोनों छोर से तेज गेंदबाज गेंदबाजी नहीं कर रहे हैं। इतना ही नहीं। जसप्रीत बुमराह से उनके पहले स्पेल में सिर्फ तीन ओवर गेंदबाजी कराई गई। बुमराह ने तीसरे ओवर की आखिरी गेंद पर एक विकेट भी लिया। इसके बावजूद उन्हें बदला गया और गेंद आकाश दीप को सौंपी गई। हरभजन और पुजारा ने इसे रणनीतिक गलती माना।
मैदान पर सन्नाटा छा गया…
कमेंट्री बॉक्स में बैठे पुजारा और हरभजन ने टीम इंडिया की बॉडी लैंग्वेज पर भी सवाल उठाए। हरभजन सिंह ने कहा कि मैच अभी भारत के हाथ से नहीं निकला है, लेकिन खिलाड़ियों की बॉडी लैंग्वेज निगेटिव दिख रही है। मैदान पर सन्नाटा है। कोई बातचीत नहीं हो रही है। खिलाड़ी एक-दूसरे का हौसला नहीं बढ़ा रहे हैं। गेंदबाज को फील्डरों से सपोर्ट नहीं मिल रहा है। चेतेश्वर पुजारा ने कहा, ‘सिर्फ मैदान ही नहीं, ड्रेसिंग रूम में बैठे खिलाड़ियों की बॉडी लैंग्वेज भी निगेटिव है। टीम के खिलाड़ी लगातार हो रहे बदलावों से खुश नहीं हैं। यही वजह है कि बाहर बैठे खिलाड़ी भी उतने जोश में नहीं दिख रहे, जितने मैच के दौरान दिखने चाहिए।’