दिल्ली खो-खो संघ (Kho Kho Federation of Delhi) की वार्षिक आमसभा में आज नई कार्यकारिणी का चुनाव सर्वसम्मति से संपन्न हुआ। संघ के अध्यक्ष सुधांशु मित्तल और पूर्व हॉकी खिलाड़ी असलम शेर खान ने मीडिया को इस निर्णय की जानकारी दी।
सुधांशु मित्तल ने कहा, “यह बड़े गर्व की बात है कि इस बार किसी भी पद के लिए चुनाव की आवश्यकता नहीं पड़ी। पूरा हाउस एकमत था। नई टीम में बेनिफ़कर को महासचिव और गोविंद को कोषाध्यक्ष नियुक्त किया गया है।” उन्होंने आगे बताया कि “त्यागी जी का कार्यकाल पूरा हो चुका है, लेकिन अनुभव को देखते हुए उनसे अनुरोध किया गया है कि वे प्रशासन और संगठन दोनों में मार्गदर्शन देते रहें।”
खो-खो के नए प्रारूप और अंतरराष्ट्रीय पहचान पर बात
असलम शेर खान ने खो-खो खेल के तेजी से बदलते स्वरूप की सराहना हाल ही में हुए खो-खो वर्ल्ड कप में हमने पारंपरिक स्टाइल की जगह सिक्स-पैटर्न का इस्तेमाल किया, जिससे खेल और भी रोमांचक बन गया। अब देश और दुनिया में खो-खो को सराहा जा रहा है।” उन्होंने Ultimate Kho Kho League को भी एक बड़ी उपलब्धि बताया और कहा कि यह खेल अब एशियाई स्तर पर अपनी मजबूत पहचान बना रहा है।
भारत-पाकिस्तान मुकाबलों पर विचार
असलम शेर खान ने खेल में राजनीति को अलग रखने की वकालत चाहे क्रिकेट हो, हॉकी या खो-खो, भारत और पाकिस्तान के बीच किसी भी खेल का मुकाबला भीड़ खींचता है। अगर किसी शहर में भारत-पाक खो-खो मैच हो तो कम से कम 5,000 लोग आ जाएंगे। खेल लोगों को जोड़ता है, इससे राजनीति को दूर रखना चाहिए।” उन्होंने 1975 में कुआलालंपुर में हुए भारत-पाक हॉकी मैच का उदाहरण देते हुए कहा, “उस मैच के वक्त मानो पूरा देश थम गया था। ऐसा ही जादू खो-खो में भी हो सकता है।
भविष्य की दिशा
मित्तल और खान दोनों ने इस बात पर जोर दिया कि खो-खो को अंतरराष्ट्रीय स्तर तक पहुंचाने की योजना है। मित्तल ने कहा यह भारत का स्वदेशी खेल है, और हमें इसे एशिया के हर कोने तक ले जाना है। एकजुटता और दूरदृष्टि के साथ यह संभव है।
असलम शेर खान बोले: खो-खो को बनाना है एशिया का प्रमुख खेल, भारत-पाक मैचों से आता है रोमांच