India News (इंडिया न्यूज),BCCI:ऑस्ट्रेलिया दौरे पर टीम इंडिया के खराब प्रदर्शन के बाद बीसीसीआई ने शनिवार को समीक्षा बैठक की। इस दौरान भारतीय क्रिकेट बोर्ड ने कई बड़े और कड़े फैसले लिए हैं। अब विदेशी दौरों पर खिलाड़ियों की पत्नियां उनके साथ ज्यादा समय तक नहीं रह पाएंगी। इसके अलावा यात्रा से लेकर खिलाड़ियों के सामान के वजन तक के नियमों में बदलाव होंगे। आइए आपको बताते हैं उन 5 बड़े और कड़े फैसलों के बारे में जो बीसीसीआई ने समीक्षा बैठक में लिए हैं।
लंबे समय तक साथ नहीं रहेंगी पत्नियां
जब खिलाड़ी अपने परिवार के साथ होते हैं तो स्वाभाविक रूप से वे उनके साथ ज्यादा समय बिताते हैं। ऐसे में उनका ध्यान भटक सकता है और उनके खेल में गिरावट आ सकती है। इस मुद्दे से निपटने के लिए बीसीसीआई ने अब फैसला किया है कि 45 दिनों से ज्यादा के विदेशी दौरों पर खिलाड़ियों की पत्नियां अधिकतम 14 दिनों तक उनके साथ रह सकेंगी। इससे कम के दौरों पर खिलाड़ी का परिवार उनके साथ सिर्फ 7 दिन ही बिता पाएगा।
टीम के साथ करना होगा ये काम
बीसीसीआई ने पूरी टीम के लिए एक साथ यात्रा करना भी अनिवार्य कर दिया है। खिलाड़ियों को अब अपने वाहन या किसी अन्य वाहन में यात्रा करने की अनुमति नहीं होगी। उन्हें टीम बस में ही यात्रा करनी होगी। ऑस्ट्रेलिया दौरे के दौरान देखा गया था कि खिलाड़ी अलग-अलग घूमते हुए नजर आए थे।
इस चीज के लिए देने होंगे पैसे
बीसीसीआई की बैठक में खिलाड़ियों के सामान के वजन को लेकर भी बड़ा कदम उठाया गया है। अगर किसी खिलाड़ी के सामान का वजन 150 किलो से ज्यादा पाया जाता है तो बीसीसीआई उसका भुगतान नहीं करेगा। बल्कि इससे ज्यादा वजन होने पर खिलाड़ी को खुद ही भुगतान करना होगा।
मैनेजर पर भी कार्रवाई
बीसीसीआई ने टीम इंडिया के हेड कोच गौतम गंभीर के मैनेजर पर भी कार्रवाई की है। टीम इंडिया के किसी भी हेड कोच के साथ टीम के दौरों पर कभी मैनेजर नहीं रहा है। लेकिन गंभीर के मैनेजर गौरव अरोड़ा टीम इंडिया के मैचों के दौरान गंभीर के साथ यात्रा करते हैं। गौरव को मैचों के दौरान स्टेडियम में वीआईपी बॉक्स में भी देखा जाता है। हालांकि, अब गौरव न तो गंभीर के साथ यात्रा कर सकेंगे और न ही उन्हें वीआईपी बॉक्स में एंट्री मिलेगी। ये नियम अन्य कोचों के मैनेजरों पर भी लागू होंगे।
कटेगी सैलरी
भारतीय खिलाड़ियों को अब अच्छा प्रदर्शन न करने पर सैलरी में कटौती का सामना करना पड़ सकता है। बैठक में सुझाव दिया गया कि ऐसा करने से खिलाड़ी खेल के प्रति ज्यादा जिम्मेदार हो सकेंगे। टीम के मैच हारने से खिलाड़ियों की जेब पर असर पड़ सकता है।