India News(इंडिया न्यूज), Ashrad Nadeem Success Story: पेरिस ओलंपिक में भाला फेंक स्पर्धा में पाकिस्तान के अशरद नदीम ने सवर्ण पदक जीता और ये पाकिस्तान के लिए एक गर्वित पल था क्योंकि 32 साल बाद पाकिस्तान ने ओलंपिक में सवर्ण पदक जीता। विश्व भर में इनका नाम गूंज रहा है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इन्होंने इस मुकाम पर पहुंचने के लिए कितनी परेशानियों का सामना किया था? अगर आप अशरद की कहानी सुनेंगे तो इस बातच की गारंटी तो हम दे सकते हैं कि आपकी आंखें नम हो जाएंगी। तो आइए इस खबर में हम आपको बताते हैं पूरी जानकारी।
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अशरद नदीम ने कुछ इस तरीके से की थी शुरुआत
32 साल बाद पाकिस्तान को पहला ओलंपिक पदक दिलाने वाले अरशद नदीम की कहानी, जैवलिन थ्रो के फाइनल में उनके 92.7 मीटर थ्रो जितनी ही शानदार है। नदीम की यात्रा संस्थागत समर्थन के कारण नहीं बल्कि उसके अभाव के बावजूद मनाई जाती है। जब उन्होंने जैवलिन थ्रो करना शुरू किया, तो नदीम के पास कथित तौर पर ज़्यादा पैसे नहीं थे। उनके पिता मुहम्मद अशरफ के अनुसार, लोगों ने पैसे इकट्ठे किए ताकि वे प्रशिक्षण ले सकें।
पिता ने बताई अशरद की कहानी
“लोगों को नहीं पता कि अरशद आज इस मुकाम पर कैसे पहुंचे। कैसे उनके साथी ग्रामीण और रिश्तेदार पैसे दान करते थे ताकि वे अपने शुरुआती दिनों में प्रशिक्षण और कार्यक्रमों के लिए दूसरे शहरों की यात्रा कर सकें,” उनके पिता मुहम्मद अशरफ ने खुलासा किया। 27 वर्षीय नदीम ने गुरुवार को पाकिस्तान के लिए पहला स्वर्ण पदक हासिल किया। यह देश का तीसरा पदक भी था, इससे पहले रोम 1960 में कुश्ती में और सियोल 1988 में मुक्केबाजी में एक पदक जीता था।
मुश्किल के वक्त में गांव और रिश्तेदार आए साथ
इस साल की शुरुआत में, जब नदीम ने प्रशिक्षण के लिए एक नए भाले की अपील की थी, तो नीरज चोपड़ा ने सोशल मीडिया पर उनके इस प्रयास का समर्थन किया था, जिसमें दोनों एथलीटों के बीच खेल भावना को उजागर किया गया था। नदीम के करियर में उनके उभरने के बाद से उल्लेखनीय प्रगति हुई है, हालांकि उन्हें कोहनी, घुटने और पीठ की समस्याओं सहित कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा है, जिसके कारण पिछले साल घुटने की सर्जरी करानी पड़ी थी।