अखिल भारतीय शतरंज महासंघ (एआईसीएफ) ने गुकेश डोमराजू और कोनेरू हम्पी की असाधारण उपलब्धियों को मान्यता देते हुए एक विशेष समारोह का आयोजन किया।
इतिहास रचने वाले युवा विश्व चैंपियन
18 वर्षीय ग्रैंड मास्टर गुकेश डोमराजू ने चीन के डिंग लिरेन को हराकर विश्व शतरंज चैंपियन बनते हुए इतिहास रच दिया। इस उपलब्धि के साथ वे विश्वनाथन आनंद के बाद दूसरे भारतीय हैं जिन्होंने विश्व शतरंज का खिताब जीता है। एआईसीएफ ने गुकेश की इस उपलब्धि का सम्मान करते हुए उन्हें 1 करोड़ रुपये की नकद राशि प्रदान की और उनकी सहयोगी टीम को 50 लाख रुपये दिए।
कोनेरू हम्पी: महिला शतरंज में भारत का गौरव
कोनेरू हम्पी ने 2024 में फिडे महिला विश्व रैपिड शतरंज चैंपियनशिप जीतकर भारत का नाम रोशन किया। यह उनकी दूसरी विश्व स्तरीय खिताबी जीत है। इस उपलब्धि के लिए हम्पी को 50 लाख रुपये का पुरस्कार प्रदान किया गया। आर. वैशाली रमेशबाबू, जिन्होंने विश्व ब्लिट्ज शतरंज चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीता था, को 20 लाख रुपये से सम्मानित किया गया।
एआईसीएफ अध्यक्ष का वक्तव्य
अध्यक्ष नितिन नारंग ने कहा, “गुकेश और हम्पी की सफलताएं भारतीय शतरंज में एक नई क्रांति का संकेत हैं। यह हमारे खिलाड़ियों की प्रतिभा और उनकी मेहनत का प्रमाण है।” उन्होंने गुकेश के परिवार के बलिदानों को भी सराहा।
खिलाड़ियों की भावनाएं
गुकेश ने अपने संबोधन में कहा, “2024 मेरे लिए बहुत खास रहा। प्रशंसकों और महासंघ के समर्थन के बिना यह संभव नहीं था। मैं उम्मीद करता हूं कि 2025 में और भी शानदार उपलब्धियां हासिल होंगी।”
कोनेरू हम्पी ने भी अपनी खुशी साझा करते हुए कहा, “यह जीत हमारी मातृभूमि की है। हमें गर्व है कि हमारी मेहनत को पहचाना गया। शतरंज में भारत के युवा नए कीर्तिमान स्थापित करेंगे।”
महासंघ की नई पहल
राष्ट्रीय पुरस्कार समारोह से पहले आयोजित इस सम्मान समारोह में खिलाड़ियों और उनके परिवारों को विशेष रूप से सराहा गया। महासंघ ने यह भी संकेत दिया कि आने वाले समय में अधिक टूर्नामेंट और संसाधन शतरंज खिलाड़ियों को उपलब्ध कराए जाएंगे।
भारतीय शतरंज का स्वर्ण युग
यह समारोह भारत में शतरंज के बढ़ते प्रभाव और नई ऊंचाइयों को छूते खिलाड़ियों की कहानी को दर्शाता है। एआईसीएफ की इन पहलों से न केवल खेल का प्रचार होगा, बल्कि अगली पीढ़ी के खिलाड़ियों को भी प्रेरणा मिलेगी।