India News (इंडिया न्यूज),Vinod Kambli And Sachin Tendulkar Controversy: विनोद कांबली और सचिन तेंदुलकर को मुंबई के कोच रमाकांत आचरेकर ने ट्रेनिंग दी थी। इसलिए दोनों उनके स्मारक के उद्घाटन में शामिल हुए, जिसका वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुआ। दोनों बचपन के दोस्तों की मुलाकात देखकर फैंस काफी खुश हुए। हालांकि, सचिन उनसे मिलते वक्त काफी असहज नजर आए। कांबली ने उन्हें पकड़कर कुछ देर रोकने की कोशिश की। लेकिन सचिन ने अपना हाथ छुड़ाया और दूसरी तरफ जाकर बैठ गए। इस बीच संजय मांजरेकर का एक बड़ा खुलासा सामने आया है। उन्होंने 3 साल पहले बताया था कि कैसे कांबली बार-बार सचिन की आलोचना करके उन्हें परेशान करते थे।
कांबली को पसंद नहीं थी सचिन की बल्लेबाजी
पूर्व भारतीय क्रिकेटर संजय मांजरेकर, सचिन और विनोद कांबली मुंबई से हैं। तीनों टीम इंडिया के लिए एक साथ खेल चुके हैं। 3 साल पहले स्पोर्ट्सकीड़ा को दिए इंटरव्यू के दौरान मांजरेकर ने सचिन और विनोद कांबली की दोस्ती पर बड़ा खुलासा किया था। उन्होंने बताया था कि कांबली को सचिन की बल्लेबाजी के बारे में नहीं पता था। वह अक्सर उनकी आलोचना करते रहते थे, जिससे शांत स्वभाव वाले सचिन परेशान रहते थे।
मांजरेकर ने साझा किया 1992 का किस्सा
मांजरेकर ने 1992 के विश्व कप का एक किस्सा साझा करते हुए कहा कि कांबली पहली बार इस टूर्नामेंट में हिस्सा ले रहे थे। उन्हें मौके नहीं मिल रहे थे, क्योंकि उनके पास अनुभव नहीं था। मांजरेकर और सचिन हर मैच खेल रहे थे। फिर हर मैच के बाद कांबली सचिन के पास आते और उनकी बल्लेबाजी की आलोचना करते और तेज खेलने की सलाह देते। जिम्बाब्वे के खिलाफ मैच जीतने के बाद वह दोनों के पास आए।
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सचिन ने किया था पलटवार
सचिन और मांजरेकर ने अच्छी बल्लेबाजी की थी, इसके बावजूद कांबली आए और कहा कि मैच और जल्दी जीता जा सकता था। उन्होंने सचिन से कहा कि उन्हें एक औसत गेंदबाज के खिलाफ चौके-छक्के लगाने चाहिए थे, जबकि वह सिंगल ले रहे थे। हालांकि, बाद में जब उन्हें मौका मिला तो वह खुद पाकिस्तान के खिलाफ 41 गेंदों में 24 रन बना पाए। इस पर सचिन ने उनसे सवाल भी किए।
फिर टूटी सचिन-कांबली की दोस्ती
विनोद कांबली ने एक रियलिटी शो के दौरान सचिन पर बुरे वक्त में उनकी मदद न करने का आरोप लगाया था। इससे उनकी दोस्ती पर गहरा असर पड़ा। सचिन को यह बात इतनी बुरी लगी कि दोनों के बीच बातचीत बंद हो गई। कई सालों तक दोनों न तो मिले और न ही बात की। यहां तक कि सचिन ने अपने रिटायरमेंट के समय भाषण देते हुए कांबली का नाम तक नहीं लिया।
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