India News (इंडिया न्यूज), Narendra Modi And Ram Mandir: 22 जनवरी को राम लला का प्राण प्रतिष्ठा समारोह होना है। जिसके लिए पूजा पाठ भी शुरु हो चुका है। बीजेपी इसका पूरा श्रेय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को दे रही है। उनका कहना है कि ये दिन पीएम मोदी द्वारा लिए गए दृढ़ संकल्प का परिणाम है।

नरेंद्र मोदी का संकल्प पूरा

बात दें कि पीएम मोदी ने दशकों पहले गुजरात में, “लोक अदालत मां अयोध्या” नामक आयोजन में संकल्प लिया था। जिसमें उन्होंने कहा था कि “राम मंदिर राम जन्मभूमि स्थल पर ही बनाया जाएगा। जहां राम का जन्म हुआ था। दुनिया की कोई भी ताकत राम मंदिर बनने से नहीं रोक सकती है।” उन्होंने यह संकल्प 1990 के दशक के शुरुआती बर्षो में लिया था। साल 2024 में उन्होंने अपने संकल्प को पूरा किया है।

तीन खंडों में नरेंद्र मोदी का योगदान

राम मंदिर निमार्ण में पीएम मोदी का अहम योगदान रहा है। जिसे तीन खंडों में बाटा जा सकता है। पहला RSS प्रचारक के रुप में उनकी भूमिका। दूसरा बीजेपी के नेता के रुप में उनका योगदान और तीसरा देश के प्रधानमंत्री के रुप में उनकी प्रतिबद्धता।

RSS प्रचारक के रुप में भूमिका

1970 के दशक में शुरुआती सालों में रामजन्म भूमि आंदोलन के दौरान नरेंद्र मोदी ने कई आंदोलनकारी भाषण दिए। जिसमें से लोक अदालत मां अयोध्या नामक आयोजन में दिया गया भाषण लोगों को काफी प्रभावित किया। RSS प्रचारक के रुप में नरेंद्र मोदी का फोकस क्लियर था। इस आंदलोन की जागृति के लिए नरेंद्र मोदी ने अपने राज्य की ओर से नेतृत्व किया। RSS प्रचारक के रुप में उन्होंने राष्ट्रीय चेतना जागृत किया। इस दौरान प्रचारक के रुप में उन्होंने पूरे भारत को राम मंदिर को लेकर जागरुक किया।

बीजेपी नेता के रुप में योगदान

1980 में नरेंद्र मोदी बीजेपी में शामिल हुए। जिसके बाद 1989 में भाजपा के गुजरात ईकाई का महासचिव नियुक्त किया गया। वहीं 1990 में उन्हें राष्ट्रीय चुनाव समिती का सदस्य बनाया गया। 1990 के दशक के अंत तक भाजपा के राष्ट्रीय महसचिव बना दिया गया। इस दौरान उन्होंने पार्टी के साथ राम मंदिर के लिए भी काम किया। 12 सितंबर 1990 को राम मंदिर से अयोध्या तक लाल कृष्ण आडवाणी की रथ यात्रा चलाई गई। जिसके आयोजक नरेंद्र मोदी बने। गुजरात चरण यात्रा के दौरान वो रथ के सार्थी बनें। नवरात्र के दौरान उन्होंने पूरी रथ यात्रा की व्यवस्था संभाली। हालांकि पूरे नवरात्र उन्होंने उपवास पर रहने के बाद भी काम किया।

छोटे टेंट में रामलला

26 जनवरी 1992 को मुरली मनोहर जोशी और नरेंद्र मोदी ने कश्मीर के लाल चौक पर शान से झंडा फहरा कर एकता यात्रा का समापन किया। इसी यात्रा के दौरान 14 जनवरी को नरेंद्र मोदी अयोध्या गए। वहां उन्होंने राम लला को छोटे टेंट में सिमटे दिखें। जिसके बाद उन्होंने यह संकल्प लिया कि अब मैं अयोध्या तभी वापस आउंगा, जिस दिन राम मंदिर का निर्माण होगा। जिसके बाद नरेद्र मोदी सुप्रीम कोर्ट के फैसला आने तक अयोध्या नहीं गए।

प्रधानमंत्री के रुप में उनकी प्रतिबद्धता

लोकसभा चुनाव 2014 के भाजपा के घोषणा पत्र में वादा किया गया कि राम मंदिर अयोध्या में हीं बनेगा। बर्षो से लंबित मामले का फैसला लेना आसान नहीं था। साल 2018 सुप्रीम कोर्ट की ओर से इस मामले की नियमित सुनवाई का निर्णय लिया गया। इस समय कोर्ट में इस मामले से जुड़े लगभग डेढ़ लाख कागजात अलग-अलग भाषाओं में मौजूद थें। जिसे नरेंद्र मोदी ने उत्तर प्रदेश राज्य सरकार की मदद से एक भाषा में छह महीनों के अंदर ट्रांसलेट कराया। जिसके बाद फास्ट ट्रेक सुनवाई शुरु की गई।

फरवरी 2020 में लोकसभा में घोषणा की गई की सरकार ने अयोध्या में भव्य राम मंदिर के निर्माण और दूसरे मुद्दों के लिए श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की मंजूरी दे दी है। इसके साथ ही मस्जिद के निर्माण के लिए अयोध्या में 5 एकड़ जमीन दी गई। जिसके बाद 5 अगस्त 2020 को नरेंद्र मोदी की यह लंबी यात्रा अंतिम पड़ाव में पुहंची। जब उन्होंने खुद अयोध्या में राम लला को समर्पित भव्य मंदिर की आधारशिला रखी। पीएम मोदी ने ना केवल मंदिर बल्कि श्री राम की नगरी अयोध्या का विकास करने पड़ भी जोड़ डाला।

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