इंडिया न्यूज़ (दिल्ली) : कांग्रेस अध्यक्ष पद के प्रत्याशी और पार्टी सांसद शशि थरूर ने प्रदेश के पार्टी नेताओं के अपने प्रति दोहरे व्यवहार को लेकर नाराजगी जताई है। थरूर ने गुरुवार को मीडिया के सम्बोधन में कहा कि मेरे प्रचार के दौरान प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष समेत बड़े नेता गायब रहते हैं। वहीं मल्लिकार्जुन खड़गे के कैंपेन के दौरान जो नेता मुझसे दूरी बनाकर रखते हैं वो नेता उनके साथ बैठते हैं।
थरूर ने यह भी कहा कि पार्टी नेता खड़गे की तरफ से लोगों को आमंत्रित करते हैं और उन्हें उपस्थित होने के लिए कहते हैं। यह सब एक उम्मीदवार के लिए हुआ, लेकिन मेरे लिए कभी नहीं। थरूर ने आगे कहा- मैंने राज्य कांग्रेस कमेटी का दौरा किया, लेकिन वहां राज्य प्रमुख उपलब्ध नहीं थे। मैं शिकायत नहीं कर रहा हूं, लेकिन क्या आपको व्यवहार में अंतर नहीं दिखता है?
चुनाव से जुड़े जरूरी कागजात न मिलने का आरोप लगाया
थरूर बोलते – बोलते यहीं नहीं रुके। उन्होंने चुनाव से जुड़े जरूरी कागजात देने में भी नेताओं पर भेदभाव का आरोप लगाया। थरूर ने कहा कि उन्हें सोमवार यानी 17 अक्टूबर को होने वाले चुनाव में मतदान करने वाले कांग्रेस प्रतिनिधियों की एक अधूरी सूची मिली है।
साथ ही उनसे संपर्क करने के लिए सूची में कोई फोन नंबर भी नहीं है। मुझे दो सूचियां मिलीं। पहली सूची में फोन नंबर नहीं थे, तो कोई राष्ट्रीय अध्यक्ष की वोटिंग में भाग लेने वाले डेलिगेट्स से कैसे संपर्क कर सकता है? हालांकि थरूर सीधे-सीधे आरोप लगाने से बचते भी दिखे। थरूर ने आगे ये भी कहा कि मैं यह नहीं कह रहा हूं कि यह जानबूझकर मेरे साथ हो रहा है। 22 साल से चुनाव नहीं हुए थे, इसलिए हो सकता है कि कहीं कुछ चूक हुई हो।
पार्टी के बड़े नेताओं पर भेदभाव का आरोप लगाया
थरूर ने अपने बयान का बचाव करते हुए यह भी कहा कि वे कांग्रेस इलेक्शन अथॉरिटी के प्रमुख मधुसूदन मिस्त्री पर पक्षपात का आरोप नहीं लगा रहे हैं। उन्होंने कहा कि मिस्त्री जी नहीं, बल्कि कांग्रेस के बड़े नेता पक्षपात कर रहे हैं। थरूर ने कहा कि जब मैं बराबर का मौका न मिलने की बात करता हूं तो मिस्त्री जी की बात नहीं करता हूं। ये पार्टी के बड़े नेताओं के लिए है। आप देख रहे हैं कि मैं खुद दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी में आकर अपने लिए वोट मांग रहा हूं। अगर बड़े नेता दो उम्मीदवारों के बीच ऐसे फर्क करेंगे तो इसे सही कैसे माना जा सकता है? जैसा कि राहुल गांधी कहते हैं कि डरो मत, मैं भी पार्टी कार्यकर्ताओं को यही समझाता हूं कि वे भी किसी से न डरे और वोट करें।