India News(इंडिया न्यूज),UCC: भारत की राजनीति में इन दिनों समान नागरिक संहिता (UCC) को लेकर गर्माहट देखने को मिल रही है। कई राजनीतिक दल इसका विरोध कर रहे हैं तो वहीं कुछ पार्टियां इसके समर्थन में भी खड़ी हैं। जिसके बाद अब बीआरएस भी समान नागरिक संहिता के विरोध में खड़ी हो गई है। बीआरएस का कहना है कि, अगर संसद में समान नागरिक संहिता पेश किया जाता है तो वो इसका विरोध करेगी। इसके साथ ही वो अन्य दलों को भी बिल के विरोध में एकजुट करने का प्रयास करेगी।
देश की अखंडता के लिए हानिकारक- केसीआर
बता दें कि, बीआरएस अध्यक्ष और तेलंगाना मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव ने सोमवार को मुस्लिम नेता से मुलाकात करने के बाद कहा कि, बीआरएस केंद्र सरकार के उन फैसले का विरोध कर रहा है, जो देश की अखंडता के लिए हानिकारक है। भाजपा के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार ने पिछले नौ वर्षों में देश के विकास और कल्याण को नजर अंदाज कर दिया है। भाजपा अलग-अलग तरीकों से लोगों को परेशान कर रही है। भाजपा यूसीसी के नाम पर लोगों को विभाजित करने की कोशिश कर रही है। भारत की एकता दुनिया में एक मिशाल है। इसलिए इसकी रक्षा करने के लिए बिल को खारिज करना आवश्यक है। भाजपा बिल पेश करके लोगों को भड़काने की कोशिश कर रही है।
यूसीसी के नाम पर देश को कमजोर करना चाहती भाजपा- ओवैसी
एआईएमआईएम के असदुद्दीन ओवैसी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि, भाजपा यूसीसी के नाम पर देश की धर्मनिर्पेक्षता को कमजोर करना चाहती है। यूसीसी सिर्फ मुसलमानों का ही नहीं बल्कि ईसाइयों, आदिवासियों और हिंदुओं का भी मुद्दा है। अगर यूसीसी लागू होता है तो हिंदू उत्तराधिकारी अधिनियम, हिंदू विवाह अधिनियम सहित अन्य कानून अस्तित्व में नहीं रहेंगे। इसके बाद ओवैसी ने दावा किया है कि, आदिवासी, ईसाई और शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति भी यूसीसी का विरोध करेंगे। बता दें कि, केसीआर के अलावा ओवैसी ने आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री वाई एस जगन मोहन रेड्डी से भी अपील की है कि उनकी पार्टी भी संसद में बिल का विरोध करे।
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