India News (इंडिया न्यूज), Agrasen ki Baoli: दिल्ली के कनॉट प्लेस के पास बने अग्रसेन की बावली को लेकर कई रहस्यमयी कहानियां प्रचलित हैं, लेकिन क्या वाकई यहां डरावनी आवाजें आती हैं? इतिहास और सच्चाई को परखते हुए विशेषज्ञों ने इन बातों पर से पर्दा उठाया है। अग्रसेन की बावली 60 मीटर लंबी और 15 मीटर चौड़ी है। ये दिल्ली के प्रमुख ऐतिहासिक स्थलों में से एक है। यह ऐतिहासिक संरचना न केवल पर्यटकों को आकर्षित करती है, बल्कि इससे जुड़ी भूतिया कहानियां भी लोगों में रोमांच पैदा करती हैं। कुछ लोग इसे एक प्रेतवाधित जगह मानते हैं, तो कुछ इसे सिर्फ एक पुरानी विरासत समझते हैं।
किसने बनवाई अग्रसेन की बावली
इस बावली का निर्माण कब और किसने करवाया, इसका कोई ठोस ऐतिहासिक प्रमाण नहीं है। हालांकि, यह माना जाता है कि इसका निर्माण महाभारत काल में महाराजा अग्रसेन द्वारा करवाया गया था, और बाद में 14वीं शताब्दी में अग्रवाल समुदाय ने इसका पुनर्निर्माण कराया। यह समुदाय महाराजा अग्रसेन के वंशज माने जाते हैं।
क्यों आती हैं डरावनी आवाजें?
डरावनी आवाजों और भूतिया कहानियों पर यहां मौजूद लोगों का कहना है कि
उन्होंने खुद कई बार सांझ के समय इस बावली पर कल्चरल वॉक करवाई है, लेकिन कभी भी उन्हें कोई असामान्य अनुभव नहीं हुआ। उनका मानना है कि भय का यह अनुभव अक्सर मानसिक प्रभाव का नतीजा होता है। अगर किसी को यह लगता है कि वहां कुछ है, तो वही डर उसके अनुभव को हावी कर देता है। इतिहासकार यह भी बताते हैं कि पहले के ज़माने में ऐसी जगहों को लेकर अफवाहें इसलिए फैलाई जाती थीं ताकि लोग वहां अकेले न जाएं, क्योंकि उस दौर में लुटेरे सुनसान इलाकों में हमला कर देते थे। ऐसे में डरावनी कहानियां लोगों को दूर रखने का एक तरीका होती थीं।