India News (इंडिया न्यूज)Animal Sacrifices In Bakrid: भारत में बकरीद का त्यौहार 7 जून को पूरे में धूमधाम से मनाया जाएगा। इस दौरान मुस्लिम समुदाय के लोग बकरों की कुर्बानी देकर अपना उत्सव मनाते हैं, हालाँकि इस बार एक मुस्लिम देश ने ऐसा फरमान जारी किया है, जो शायद हर कुर्बानी देने वाले के लिए मिसाल है। अफ्रीकी देश मोरक्को ने इस साल ईद-उल-अजहा यानी बकरीद पर कुर्बानी पर रोक लगा दी है। देश में सूखे के चलते राजा मोहम्मद VI ने वहां कुर्बानी पर रोक लगा दी है। वहां की सरकार ने सख्त आदेश दिए हैं कि इस बार कोई भी देशवासी बकरीद के मौके पर बकरे या किसी भी जानवर की कुर्बानी न दे। ऐसे में आइए जानते हैं कि किन देशों में जानवरों की कुर्बानी पर पूरी तरह से प्रतिबंध है।

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मोरक्को में सरकार के खिलाफ गुस्सा Animal Sacrifices In Bakrid

मोरक्को एक मुस्लिम देश है, जहां की 99% आबादी इस्लामिक है। ऐसे में वहां बकरीद के त्यौहार को काफी महत्व दिया जाता है। यही वजह है कि लोगों में अपनी सरकार के खिलाफ गुस्से का माहौल देखने को मिल रहा है। वहां इस बात को लेकर धार्मिक बहस भी चल रही है कि धार्मिक अनुष्ठानों को रोकने का अधिकार राजा को है या सरकार को। इसके साथ ही हमारे देश में भी लोगों का कहना है कि सरकार को बकरीद पर बकरों की बलि देने की प्रथा पर रोक लगानी चाहिए। मंत्री नितेश राणे, गाजियाबाद से भाजपा विधायक नंदकिशोर गुर्जर ने भी लोगों से वर्चुअल बकरीद मनाने को कहा है। आइए अब यह भी जान लेते हैं कि मोरक्को के अलावा कहीं और भी बलि को लेकर ऐसा नियम है या नहीं।

नेपाल में भी पशु बलि पर प्रतिबंध

हां, मोरक्को ही एकमात्र ऐसा देश नहीं है जिसने किसी भी धार्मिक अनुष्ठान के लिए पशु बलि पर प्रतिबंध लगाया है, बल्कि नेपाल, चीन और ताइवान में भी धार्मिक अनुष्ठानों के लिए पशु बलि पर प्रतिबंध है या कुछ हद तक सीमित है। नेपाल में एक त्यौहार है, जिसका नाम गढ़ीमाई त्यौहार है। इसमें पशु बलि पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया गया है। इस दौरान नेपाल के गढ़ीमाई मंदिर में लाखों पशुओं की बलि दी जाती थी, लेकिन साल 2015 में इस पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। पशुओं को बचाने के लिए यह प्रतिबंध लगाया गया है।

चीन और ताइवान ने भी इस पर प्रतिबंध लगाया

इसके अलावा चीन में अधिकतर लोग बौद्ध धर्म के उपासक हैं। ऐसे में वे किसी भी तरह की हत्या, अनुष्ठान, बलि और पूजा पर प्रतिबंध लगाते हैं। इसलिए वहां किसी भी तरह से पशु बलि पर बैन है। इसके अलावा ताइवान खुद को चीन से अलग मानता है, हालाँकि चीन ने कभी भी उसे खुद से अलग नहीं माना है। ऐसे में वहां भी काऊशुंग या ताओवादी मंदिरों में पशु बलि पर रोक है।

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