India News (इंडिया न्यूज),Aurangzeb:बॉलीवुड फिल्म छावा ने एक बार फिर छत्रपति संभाजी महाराज के बलिदान और औरंगजेब के अत्याचारों को चर्चा में ला दिया है। फिल्म देखने के बाद लोग यह जानने को उत्सुक हैं कि संभाजी महाराज की पत्नी महारानी येसुबाई और उनके बेटे शाहू महाराज के साथ क्या हुआ था। जानिए संभाजी महाराज की शहादत के बाद मुगल बादशाह औरंगजेब ने मराठों को तोड़ने के लिए उनके परिवार के साथ क्या किया था। संभाजी महाराज को 1689 में मुगलों ने गिरफ्तार कर लिया था।
औरंगजेब ने उन्हें इस्लाम धर्म अपनाने का प्रस्ताव दिया लेकिन उन्होंने इनकार कर दिया। इसके बाद उन्हें बेरहमी से प्रताड़ित किया गया और मार डाला गया। औरंगजेब का इरादा मराठों में डर फैलाना था लेकिन हुआ इसके उलट। संभाजी की शहादत मराठों के लिए प्रेरणा बन गई और उन्होंने मुगलों के खिलाफ अपना संघर्ष तेज कर दिया।
यसुबाई की रणनीति
संभाजी महाराज की मृत्यु के बाद उनकी पत्नी महारानी येसुबाई ने समझदारी और धैर्य के साथ स्थिति को संभाला। उन्होंने मराठा रणनीति को मजबूत किया और अपने बहनोई राजाराम महाराज को सुरक्षित रूप से तमिलनाडु के गिंगी भेजने की व्यवस्था की। यह एक ऐसा निर्णय था जिसने मराठा राजवंश और उनकी स्वतंत्रता की लड़ाई को जीवित रखा। यशुबाई ने मुगलों के खिलाफ गुरिल्ला युद्ध की रणनीति को और धार दी। मराठों ने अलग-अलग दिशाओं से हमला करके मुगल किलों पर दबाव बनाए रखा। इस दौरान मराठों ने फिर से कई महत्वपूर्ण किलों पर कब्जा कर लिया, जिससे मुगलों के लिए दक्षिण भारत पर नियंत्रण बनाए रखना मुश्किल हो गया।
यसुबाई और शाहू महाराज को बंधी बनाया
इस बीच, औरंगजेब ने 1689 में महारानी येसुबाई और उनके छोटे बेटे शाहू महाराज को कैद कर लिया। मराठा विद्रोह को कमज़ोर करने के लिए उन्हें मुग़ल दरबार में राजनीतिक बंदी के तौर पर रखा गया था। हालाँकि, बाद में शाहू महाराज की कैद मराठा इतिहास में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुई। अपनी पूरी ताकत लगाने के बावजूद औरंगजेब मराठों पर पूरी तरह से काबू नहीं पा सका। 27 साल तक दक्षिण में लड़ने के बाद 1707 में उसकी मौत हो गई। इसके बाद मुगल साम्राज्य कमजोर हो गया और मराठों का दबदबा बढ़ने लगा।
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शाहू महाराज की रिहाई
औरंगजेब की मृत्यु के बाद सत्ता संघर्ष शुरू हुआ और शाहू महाराज को 1707 में रिहा कर दिया गया। उन्होंने मराठा साम्राज्य को पुनर्जीवित किया और मुगलों पर विजय प्राप्त की। धीरे-धीरे मराठा साम्राज्य इतना शक्तिशाली हो गया कि दिल्ली पर उनका प्रभाव बढ़ने लगा और मुगल शासक नाममात्र के राजा बन गए। महारानी येसुबाई की बुद्धिमत्ता और साहस ने मराठा लड़ाई को जीवित रखा। उनके नेतृत्व में मराठों ने कभी हार नहीं मानी और मुगलों को घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया। संभाजी महाराज की शहादत मराठों के लिए प्रेरणा बन गई और उन्होंने अपना साम्राज्य फिर से स्थापित किया। येसुबाई के योगदान के बिना यह संभव नहीं था।