India News (इंडिया न्यूज), India-Pakistan 1971 War : कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध जैसे हालात हैं। दोनों देशों की सेनाएं अलर्ट पर हैं। भारत ने भी कहा है कि वह पहलगाम की घटना का कड़ा बदला लेगा। इसके बाद पाकिस्तान में हड़कंप मचा हुआ है। भारतीय सेना भी पाकिस्तान से बदला लेने के लिए पूरी तरह तैयार है। आपको बता दें कि पाकिस्तान आज तक किसी भी युद्ध में भारत को हरा नहीं सका है।

इसी कड़ी में 1971 के युद्ध में पाकिस्तान दो हिस्सों में बंट गया था। उसके 93000 सैनिकों ने भारत के सामने आत्मसमर्पण कर दिया था। इसके बाद पूर्वी पाकिस्तान इतिहास बन गया और दुनिया के नक्शे पर बांग्लादेश नाम के एक नए देश का जन्म हुआ। लेकिन क्या आप जानते हैं कि उस युद्ध में भारतीय सेना और नौसेना ने बड़े पैमाने पर कंडोम का ऑर्डर दिया था? आइए जानते हैं इसके बारे में।

कंडोम का ऑर्डर क्यों दिया गया था?

दिसंबर 2021 की एक रिपोर्ट में ‘फर्स्टफॉस्ट’ ने 1971 के युद्ध में हिस्सा लेने वाले लेफ्टिनेंट कर्नल आरएके मानेक के हवाले से बताया है कि सेना ने कंडोम का ऑर्डर क्यों दिया था। भारतीय सेना ने पूर्वी पाकिस्तान पर हमला करना शुरू कर दिया था। उस समय मानेक सेना में कैप्टन थे। मानेक ने आगे बताया कि पूर्वी पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) नदियों और नालों से भरा हुआ है। इस वजह से सैनिकों को अपनी राइफलों के साथ काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा था।

सैनिकों को डर था कि उनकी राइफलें बेकार हो जाएंगी क्योंकि कभी पानी तो कभी कीचड़ उनमें जा रहा था, जिससे वे बेकार हो रही थीं। युद्ध में राइफलों को सूखा रखना बहुत जरूरी था। तब सैनिकों को कंडोम के बारे में ख्याल आया। दिमाग में आया कि अगर राइफलों की बैरल के मुंह को कंडोम से ढक दिया जाए तो उन्हें सूखा रखने में मदद मिलेगी। कंडोम के अलावा सेना ने सूती कपड़े का भी इस्तेमाल किया लेकिन इससे ज्यादा मदद नहीं मिली। इसके बाद सेना ने बड़े पैमाने पर कंडोम मंगवाए। यह तरकीब काम आई और कंडोम की वजह से राइफलें कारगर रहीं।

भारतीय नौसेना ने भी किया इस्तेमाल

कुछ मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक 1971 के युद्ध में नौसेना ने भी कंडोम का इस्तेमाल किया था। रिपोर्ट्स के मुताबिक उस समय चटगांव बंदरगाह को नौसेना ने घेर रखा था। पाकिस्तानी जहाजों को निशाना बनाने के लिए नौसेना ने उन पर लिमपेट माइंस से निशाना लगाने की योजना बनाई। इन माइंस को दुश्मन के जहाज के नीचे रखना होता है और बाद में यह एक निश्चित समय में फट जाती है, जिससे जहाज नष्ट हो जाता है। दिक्कत यह थी कि पानी के संपर्क में आते ही लिमपेट माइन आधे घंटे के अंदर फट जाती।

लेकिन बाद में कंडोम की तरकीब अपनाई गई। कंडोम की मदद से लिमपेट माइंस को वाटरप्रूफ बनाया गया और फिर इनका इस्तेमाल दुश्मन के जहाजों को नष्ट करने में किया गया। इससे नौसेना को काफी सफलता मिली।

पानी रोकने पर पीएम शहबाज ने दी थी ‘एक्ट ऑफ वॉर’ की धमकी…जाने क्या होता है इसका मतलब, भारत पर कैसे पड़ेगा असर?

पहलगाम हमले को लेकर बड़ा खुलासा, उतारी गई थी 20 लोगों की पैंट, एक-एक डिटेल आई सामने; सुन कान से निकल जाएगा खून