India News (इंडिया न्यूज), Chandra Grahan 2025: इस साल होली के त्यौहार के साथ ही एक खगोलीय घटना भी होने जा रही है। 14 मार्च 2025 को होली के दिन साल का पहला पूर्ण चंद्रग्रहण लगेगा, जो ब्लड मून (लाल चांद) के रूप में दिखाई देगा। यह घटना एक दुर्लभ खगोलीय संयोग है, जिसमें चंद्रमा का रंग लाल हो जाता है। इसे प्रकृति की सबसे दुर्लभ घटना में से एक माना जाता है। चलिए जानते हैं कि आखिर ब्लड मून बनता कैसे है और आखिर यह दुनिया के किन-किन हिस्सों में दिखने जा रहा है?

कैसे बनता है ब्लड मून?

ब्लड मून उस स्थिति को कहते हैं, जब चंद्रग्रहण के दौरान चंद्रमा का रंग लाल हो जाता है। ऐसा तब होता है, जब पृथ्वी की छाया सूर्य के प्रकाश को रोक लेती है, लेकिन वायुमंडल में मौजूद धूल, गैस और अन्य कणों की वजह से लाल किरणें चंद्रमा तक पहुंचती हैं, जिससे चंद्रमा लाल दिखाई देता है। इस घटना को ‘रेले स्कैटरिंग’ प्रभाव कहते हैं। जब सूर्य की रोशनी पृथ्वी के वायुमंडल से होकर गुजरती है, तो नीली किरणें बिखर जाती हैं और लाल किरणें चंद्रमा तक पहुँचती हैं, जिससे वह लाल या नारंगी दिखाई देता है।

ब्लड मून एक दुर्लभ घटना है, जो आमतौर पर साल में एक या दो बार ही होती है। यह घटना तब होती है जब पूर्ण चंद्रग्रहण होता है और पृथ्वी की छाया ठीक चंद्रमा पर पड़ती है।

14 मार्च 2025 का पूर्ण चंद्रग्रहण

पहला पूर्ण चंद्रग्रहण 14 मार्च 2025 को होगा, जो भारत में दिखाई नहीं देगा। यह चंद्रग्रहण सुबह 9:29 बजे से दोपहर 3:29 बजे तक रहेगा। चूंकि इस समय भारत में दिन होगा, इसलिए यहां के लोग इस खगोलीय नजारे का अनुभव नहीं कर पाएंगे। हालांकि, अन्य देशों में यह ग्रहण स्पष्ट रूप से दिखाई देगा।

इस चंद्रग्रहण के दौरान चंद्रमा का रंग लाल हो जाएगा, जिसे ब्लड मून कहा जाएगा। यह खगोलीय घटना खास तौर पर ऑस्ट्रेलिया, यूरोप, अफ्रीका, उत्तर और दक्षिण अमेरिका, पूर्वी एशिया और अंटार्कटिका में दिखाई देगी।

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भारत में क्यों नहीं दिखाई देगा चंद्रग्रहण? यह चंद्र ग्रहण दिन में लगेगा, जब भारत में सूर्य की रोशनी अधिक होगी। सूर्य की रोशनी चंद्रमा को ढक लेती है, इसलिए यह खगोलीय घटना भारत में दिखाई नहीं देगी। चंद्र ग्रहण तभी देखा जा सकता है, जब रात में चंद्रमा आकाश में हो और सूर्य की रोशनी कम हो। इसलिए इस चंद्र ग्रहण का भारत में कोई प्रभाव नहीं होगा।

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