India News (इंडिया न्यूज), Viral News: ओडिशा के गंजम जिले के रालाब गांव में हाल ही में एक नाट्य प्रस्तुति के दौरान विवादित घटना सामने आई, जिसने पूरे राज्य में आक्रोश और चर्चाओं को जन्म दिया है। 24 नवंबर को हुए इस नाटक में 45 वर्षीय थिएटर कलाकार बिंबाधर गौड़ा ने मंच पर एक असली सुअर का पेट फाड़कर उसका मांस खा लिया। इस कृत्य का मकसद नाटक को “रियल फील” देना था, लेकिन यह प्रयास स्थानीय निवासियों और पशु प्रेमियों को गहरी ठेस पहुंचा गया।
घटना का वीडियो वायरल, प्रशासन ने लिया संज्ञान
यह घटना तब सुर्खियों में आई जब इसका वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गया। वीडियो में बिंबाधर गौड़ा को एक राक्षस की भूमिका निभाते हुए देखा गया, जो मंच पर लटके हुए सुअर को मारकर उसका मांस खाता है। वीडियो के प्रसार के बाद पुलिस और प्रशासन हरकत में आया। भाजपा विधायक बाबू सिंह और सनातन बिजुली ने भी विधानसभा में इस घटना की कड़ी निंदा की और दोषियों पर कठोर कार्रवाई की मांग की।
पुलिस कार्रवाई और आरोप
हिंजिली पुलिस स्टेशन के प्रभारी निरीक्षक श्रीनिवास सेठी ने जानकारी दी कि अभिनेता बिंबाधर गौड़ा को गिरफ्तार कर लिया गया है। उनके खिलाफ पशु क्रूरता अधिनियम और वन्यजीव संरक्षण अधिनियम का उल्लंघन करने का मामला दर्ज किया गया है। पुलिस ने बताया कि नाटक के दौरान सांपों का प्रदर्शन भी किया गया था, जो राज्य प्रशासन द्वारा पिछले वर्ष अगस्त में लगाए गए प्रतिबंध का उल्लंघन है।
नाटक में सांपों का अवैध प्रदर्शन
नाट्य समूह ने भीड़ को आकर्षित करने के लिए असली सांपों का प्रदर्शन किया, जो कानून के खिलाफ है। सांपों के सार्वजनिक प्रदर्शन पर राज्य में सख्त प्रतिबंध है। प्रशासन ने यह स्पष्ट किया है कि ऐसी घटनाओं पर कोई ढील नहीं दी जाएगी और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
सामाजिक प्रतिक्रिया और पशु अधिकार संगठन
पशु अधिकार संगठनों ने इस घटना पर कड़ा विरोध जताया है। उन्होंने मांग की है कि इस तरह के अमानवीय कृत्यों को रोकने के लिए कठोर नियम लागू किए जाएं। सामाजिक और धार्मिक संगठनों ने भी इस घटना की निंदा की है, इसे सभ्यता और मानवता के खिलाफ बताया है।
यह घटना न केवल नाट्य कला के प्रति एक संवेदनहीन दृष्टिकोण को दर्शाती है, बल्कि यह भी इंगित करती है कि मनोरंजन के नाम पर पशुओं के साथ क्रूरता की कोई जगह नहीं होनी चाहिए। प्रशासन को चाहिए कि वह ऐसे कृत्यों को रोकने के लिए कठोर कदम उठाए और थिएटर समूहों को अधिक जिम्मेदार बनाया जाए। यह मामला एक महत्वपूर्ण उदाहरण है कि कला और संस्कृति के नाम पर किसी भी तरह की बर्बरता को समाज में स्वीकार नहीं किया जा सकता।