India News (इंडिया न्यूज), Hajj 2025: मुसलमानों के लिए पाँच कर्तव्यों में से पाँचवाँ कर्तव्य हज यात्रा है। इसीलिए हर साल दुनिया भर के लाखों मुसलमान हज यात्रा पर जाते हैं। इस बार यह यात्रा जून में शुरू होगी, जिसके लिए सऊदी अरब सरकार ने नई गाइडलाइन भी जारी की हैं। ऐसे में भारत से भी हज़ारों मुसलमान हज यात्रा के लिए रजिस्ट्रेशन कराने की तैयारी कर रहे हैं। हज यात्रा के लिए पहली शर्त मुसलमान होना है। कोई गैर-मुस्लिम व्यक्ति हज यात्रा नहीं कर सकता।
हालाँकि, बॉलीवुड अभिनेत्री राखी सावंत ने हाल ही में दावा किया है कि उन्होंने तीन बार उमराह किया है। उमराह मस्जिद अल-हरम में भी किया जाता है, जो मक्का में मौजूद है और यहाँ गैर-मुस्लिमों का जाना वर्जित है। हालाँकि, राखी सावंत ने पिछले साल आदिल खान से शादी करने के बाद इस्लाम कबूल कर लिया था और मुसलमान बन गई थीं। अब हमारा सवाल यह है कि अगर कोई व्यक्ति राखी सावंत की तरह अपना धर्म बदलकर इस्लाम कबूल कर लेता है, तो क्या वह हज यात्रा कर सकता है? आइए जानते हैं कि इस्लाम इस बारे में क्या कहता है और इसके नियम क्या हैं।
हज के लिए मुसलमान होना अनिवार्य?
हज यात्रा को लेकर कई नियम बनाए गए हैं। जैसे कि बहुत कमजोर, बीमार, बुजुर्ग या शारीरिक रूप से अक्षम व्यक्ति हज यात्रा नहीं कर सकता। इसके अलावा आर्थिक रूप से कमजोर, कर्ज में डूबे व्यक्ति के लिए भी हज यात्रा वर्जित है। हालांकि, पहली शर्त मुसलमान होना है। यानी अगर आप गैर-मुस्लिम हैं, तो आप हज यात्रा नहीं कर सकते। अब सवाल पर वापस आते हैं कि क्या कोई ऐसा व्यक्ति हज यात्रा कर सकता है जिसने दूसरे धर्म से इस्लाम धर्म अपनाया हो? तो इसका जवाब है-हां, अगर आपने दूसरे धर्म से धर्म बदलकर इस्लाम धर्म अपनाया है, तो आप हज यात्रा पर जा सकते हैं।
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जन्म से मुसलमान होना जरूरी नहीं
इस्लाम के नियमों के मुताबिक, हज यात्रा के लिए जन्म से मुसलमान होना जरूरी नहीं है। यानी वो लोग भी हज यात्रा पर जा सकते हैं, जो दूसरे धर्म से इस्लाम धर्म अपनाते हैं। इतना ही नहीं, हज यात्रा पर जाने के लिए इस्लाम धर्म अपनाने वाले व्यक्ति के लिए नाम बदलना भी जरूरी नहीं है। हालांकि, उसका धर्म मुसलमान होना चाहिए।