India News (इंडिया न्यूज),Marriage of Mughal princess with Hindu king: मुगल सम्राट अकबर की धार्मिक नीति हिंदुओं के प्रति उदार और सहिष्णु थी। उसने धर्म को अपने शासन से अलग रखा और हिंदुओं को अपने धर्म का पालन करने की पूरी आजादी दी। अकबर ने कई हिंदू राजकुमारियों से विवाह किया। ऐसा माना जाता है कि जोधाबाई उनकी प्रमुख रानी थीं। इतिहास में मुस्लिम आक्रमणकारियों और भारत के हिंदू राजाओं के बीच युद्धों के अलावा कई सामाजिक घटनाओं का भी उल्लेख है। ऐसी कुछ घटनाओं में हिंदू राजाओं और मुस्लिम राजकुमारियों के विवाह का भी उल्लेख है। इतिहासकारों के अनुसार मुगल सम्राट अकबर ने अपनी बेटी शहजादी खानम बेगम का विवाह मेवाड़ के शासक महाराणा अमर सिंह से किया था।
मेवाड़ पर कब्ज़ा करने में विफल
अमर सिंह 1597 से 1620 तक मेवाड़ के शासक रहे। वे महाराणा प्रताप के सबसे बड़े पुत्र और महाराणा उदय सिंह द्वितीय के पोते थे। यह विवाह एक तरह की संधि थी। महाराणा प्रताप सिंह की मृत्यु के बाद अमर सिंह उदयपुर यानी मेवाड़ की गद्दी पर बैठे मेवाड़ पर कब्ज़ा करने में विफल अकबर ने संधि के तहत अपनी बेटी शहज़ादी खानम बेगम का विवाह अमर सिंह से करवा दिया। 26 जनवरी 1620 को महाराणा अमर सिंह की मृत्यु हो गई। उनके अलावा इतिहास में कई अन्य राजाओं द्वारा मुस्लिम शासकों की बेटियों से विवाह करने के संदर्भ मिलते हैं।
जगत सिंह और मरियम का विवाह
इसके अलावा इतिहास में उल्लेख है कि आमेर के राजा मानसिंह के पुत्र कुंवर जगत सिंह ने एक मुस्लिम राजकुमारी से विवाह किया था। उन्होंने उड़ीसा (अब ओडिशा) के अफगान गवर्नर कुतुल खान की बेटी मरियम से विवाह किया था। इतिहासकार छाजू सिंह के अनुसार, 1590 में राजा मानसिंह ने उड़ीसा में अफगान सरदारों के विद्रोह को कुचलने के लिए कुंवर जगत सिंह के नेतृत्व में एक सेना भेजी थी।
मरियम ने घायल जगत की सेवा की थी
इतिहास के अनुसार, कुंवर जगत सिंह ने नवाब कुटलू खान की सेना के साथ युद्ध किया था। कुंवर जगत सिंह घायल हो गए और युद्ध हार गए। इसके बाद कुतुल खान की बेटी मरियम ने जगत सिंह को गुप्त रूप से अपने पास रखा और उनकी देखभाल की। ठीक होने के बाद मरियम ने जगत सिंह को विष्णुपुर के राजा हमीर को सौंप दिया। कुछ समय बाद कुतुल खान की मृत्यु हो गई। कुतुल खान के बेटे ने राजा मान सिंह की अधीनता स्वीकार कर ली। वहीं मरियम की सेवा से प्रभावित होकर कुंवर जगत सिंह ने उससे विवाह कर लिया। उपन्यासकार बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय ने अपने उपन्यास ‘दुर्गेशनंदिनी’ में कुंवर जगत सिंह के युद्ध में घायल होने और एक मुस्लिम लड़की द्वारा उनकी सेवा करने के बारे में लिखा है।