India News (इंडिया न्यूज), Holi 2025: इस समय देश में होली का उत्साह चरम पर है, लेकिन इस बार यह त्योहार रमजान के पवित्र महीने और जुमे की नमाज के दिन पड़ रहा है। ऐसे में जहां प्रशासन होली और जुमे की नमाज पर शांति बनाए रखने की कोशिश कर रहा है, वहीं इस मुद्दे पर राजनीतिक बहस भी तेज हो गई है। सवाल उठता है कि क्या वाकई इस्लाम में होली खेलना हराम है और मुसलमान इस त्योहार में हिस्सा लेने से क्यों बचते हैं?

क्या इस्लाम में होली खेलना हराम?

ऑल इंडिया इमाम एसोसिएशन के अध्यक्ष मौलाना साजिद रशीदी का कहना है कि इस्लाम में होली खेलना जायज़ नहीं है। उनके मुताबिक मुसलमानों को होली की बधाई देना अलग बात है, लेकिन रंग खेलना इस्लामी मान्यताओं के खिलाफ है। मौलाना जीशान मिस्बाही का भी मानना ​​है कि हर धर्म के अपने रीति-रिवाज होते हैं। होली हिंदू समाज का त्योहार है और इसे मनाने का उनका अपना तरीका है। मुसलमानों के लिए होली की बधाई देना मना नहीं है, लेकिन रंग खेलना उनकी धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक नहीं माना जाता।

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क्या कहता है मुसलमानों का धार्मिक ग्रंथ कुरान?

इस्लामिक विद्वानों के अनुसार, कुरान सीधे तौर पर होली खेलने पर रोक नहीं लगाता है। हालांकि, यह जरूर कहा गया है कि रोजे के दौरान कोई भी बाहरी तत्व शरीर में प्रवेश नहीं करना चाहिए। अगर रंग सिर्फ त्वचा पर लगाया जाए और शरीर के अंदर न जाए तो रोजा नहीं टूटता। लेकिन अगर गलती से रंग आंख, नाक या कान के जरिए शरीर में चला जाए तो रोजा प्रभावित हो सकता है।

इतिहास में मुस्लिम शासकों ने भी होली खेली

अगर इस्लाम में होली खेलना हराम है, तो इतिहास में मुगल शासकों द्वारा होली मनाने के प्रमाण क्यों मिलते हैं? ऐतिहासिक दस्तावेजों के अनुसार, मुगल बादशाह अकबर से लेकर शाहजहां तक ​​के शासनकाल में होली मनाई जाती थी। अकबर हिंदू समाज के लोगों के साथ होली खेलते थे और इसे गंगा-जमुनी तहजीब का प्रतीक माना जाता था। इतिहासकार बताते हैं कि होली के रंग मुगल दरबार में भी बिखरे थे और इसे सूफी परंपराओं में भी अपनाया गया। यह इस बात का प्रमाण है कि कुछ मुस्लिम समुदायों में समय के साथ धार्मिक सीमाओं से परे होली मनाने की परंपरा रही है।

इस्लाम में कौन से त्योहार मान्य?

इस्लामी मान्यताओं के अनुसार मुसलमानों के लिए मुख्य रूप से दो ही त्यौहार मान्य हैं- ईद-उल-फितर और ईद-उल-अजहा। ये दोनों ही त्यौहार पैगंबर मोहम्मद की शिक्षाओं और इस्लामी परंपराओं से जुड़े हैं। यही वजह है कि कई मुस्लिम विद्वान मानते हैं कि उन्हें दूसरे धर्मों के त्यौहारों में हिस्सा नहीं लेना चाहिए।

होली पर क्या ध्यान रखें?

अगर कोई मुसलमान होली खेलता है तो उसे इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि रंग शरीर के अंदर न जाए, खास तौर पर रोजे के दौरान। वहीं, होली खेलने से पहले लोग अपनी त्वचा और बालों पर तेल या क्रीम लगा सकते हैं ताकि रंग आसानी से छूट जाए।

व्यक्तिगत आस्था पर मनाएं त्यौहार

होली का त्यौहार भारत की सांस्कृतिक विरासत का अहम हिस्सा है, लेकिन हर धर्म के अपने नियम होते हैं। इस्लाम में होली खेलना जायज तो नहीं माना जाता, लेकिन इतिहास गवाह है कि कभी सूफी और मुगल शासकों ने इसे अपनाया था। यह व्यक्तिगत आस्था और विश्वास पर निर्भर करता है कि कोई इस त्यौहार में किस हद तक हिस्सा लेना चाहता है।

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