India News (इंडिया न्यूज), IITian Baba at Mahakumbh: उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में दुनिया भर  से करोड़ों श्रद्धालु और संत यहां अमृत स्नान के लिए आ रहे हैं। इस आयोजन में कई संत अपने अनोखे व्यक्तित्व के कारण चर्चा का विषय बन गए हैं। इन्हीं में से एक हैं आईआईटीयन बाबा अभय सिंह, जिन्हें ‘इंजीनियर बाबा’ के नाम से जाना जा रहा है।

इंजीनियर बाबा अभय सिंह का दावा है कि उन्होंने आईआईटी बॉम्बे से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल की है। पढ़ाई के बाद उन्हें एक बड़ी कंपनी में लाखों के पैकेज पर नौकरी भी मिल गई, लेकिन उन्होंने सांसारिक मोह-माया त्यागकर आध्यात्म का मार्ग चुना। सोशल मीडिया पर चर्चाएं हैं कि प्यार में धोखा मिलने के कारण बाबा ने जीवन से मोह त्याग दिया। कुछ लोगों का मानना ​​है कि बेरोजगारी और डिप्रेशन के कारण उन्होंने आध्यात्म का मार्ग अपनाया। अभय सिंह ने खुद बताया कि उन्होंने जीवन का अर्थ खोजने के लिए यह मार्ग चुना।

आईआईटियन बाबा का सद्गुरु कनेक्शन

एबीपी न्यूज से बात करते हुए उन्होंने कहा, ”मैं भगवान की शरण में पहुंच गया हूं, अब तय होगा कि जीवन में आगे क्या करना है, जिस चीज को हम धर्म कहते हैं, जिस चीज को हम सत्य कहते हैं, उस चीज को वापस कैसे लाना है और उस चीज को वापस लाने के लिए क्या करना होगा, यह सब मैंने मेडिटेशन करके सीखा।”

उन्होंने आगे कहा कि जब मैं भारत आया, तब मैं सद्गुरु के आश्रम गया, फिर वहां 9 महीने सेवक बनकर रहा, फिर वहां क्रिया, ध्यान, योग सीखा और खुद को समर्पित किया। उन्होंने कहा कि वहां सबकुछ सीखने के बाद मैं बाहर आया, फिर 2021 के बाद महादेव ने सबकुछ निर्देशित करना शुरू कर दिया।

इंजीनियरिंग से आध्यात्म तक

हरियाणा के झज्जर निवासी अभय सिंह ने इंजीनियरिंग के दौरान मानवता और दर्शनशास्त्र के विषयों का अध्ययन किया। उन्होंने सुकरात और प्लेटो जैसे दार्शनिकों की पुस्तकों और लेखों से जीवन के अर्थ को समझने की कोशिश की। अपने करियर में उन्होंने फिजिक्स पढ़ाया, डिजाइनिंग सीखी और फोटोग्राफी का काम किया। फोटोग्राफी और अन्य कामों के बावजूद जीवन में कोई मकसद न मिलने के कारण वे डिप्रेशन में चले गए। उनकी बहन ने उन्हें कनाडा बुलाकर संभालने की कोशिश की, लेकिन उन्हें वहां भी संतुष्टि नहीं मिली।

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भारत लौटकर शुरू हुई आध्यात्मिक यात्रा

कोरोना काल के बाद भारत लौटने के बाद उन्होंने विभिन्न धार्मिक स्थलों की यात्रा की। उन्होंने चारों धामों की पैदल यात्रा की और हिमालय की गहराइयों में जाकर खुद को समझने की कोशिश की। अब अभय सिंह ने अपना पूरा जीवन भगवान शिव को समर्पित कर दिया है। वे कहते हैं, ‘अब मैं आध्यात्म का आनंद ले रहा हूं। विज्ञान के जरिए आध्यात्म को समझ रहा हूं। सब कुछ शिव है। सत्य ही शिव है और शिव ही सुंदर है।’

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