India News (इंडिया न्यूज), Punishments For Rapists: आए दिन हमें दुनिया से ऐसी खबरें सुनने को मिलती हैं कि किसी देश या राज्य में किसी महिला के साथ बलात्कार हुआ है। भारत में तो शायद ही कोई ऐसा दिन हो जब ऐसी खबरें न छपती हों। सरकार अपराधियों पर लगाम लगाने की कितनी भी कोशिश कर ले, लेकिन वे अपराध करने का कोई न कोई नया तरीका ढूंढ ही लेते हैं। भारत में बलात्कार को लेकर कानून भले ही बहुत सख्त न हो। लेकिन पड़ोसी देश पाकिस्तान ने इस अपराध के लिए ऐसी सजा तय की है, जिसे सुनकर अपराधी की रूह कांप जाती है। आइए जानते हैं इस कानून के बारे में।

पाकिस्तान में 82 फीसदी बलात्कार के आरोपी परिवार के सदस्य

पाकिस्तान में महिलाओं की स्थिति बहुत खराब है। यहां महिलाओं के साथ बलात्कार के लिए ज्यादातर जिम्मेदार उनके अपने ही होते हैं। साल 2023 में पाकिस्तानी पत्रकार हामिद मीर ने एक टीवी कार्यक्रम में वहां बलात्कार से जुड़े चौंकाने वाले आंकड़े पेश किए। अगर इस आंकड़े की मानें तो पाकिस्तान में 82 फीसदी बलात्कार के आरोपी परिवार के सदस्य ही हैं। इनमें दादा, पिता, भाई, चाचा, मामा, नाना जैसे लोग शामिल हैं। सर्वे रिपोर्ट की मानें तो पाकिस्तान में हर दो घंटे में एक बलात्कार होता है। ऐसे में वहां कानून भी काफी सख्त है।

पाकिस्तान में बलात्कारियों के लिए ये एक खतरनाक सजा है

जब साल 2020 में पाकिस्तान में बलात्कार के मामले बढ़ने लगे तो इसे लेकर वहां एक नया कानून लाया गया। इस कानून के तहत बलात्कार के दोषी को नपुंसक बनाने का प्रावधान है। ये सच है, इस कानून के आने के बाद अगर कोई बलात्कार के मामले में दोषी पाया जाता है तो उसे नपुंसक बना दिया जाता है। ये सजा केमिकल कैस्ट्रेशन के जरिए दी जाती है। यानी इंजेक्शन में दवा भरकर दोषी को दी जाती है और उसे नपुंसक बना दिया जाता है। इमरान खान की कैबिनेट ने इस कानून को मंजूरी दी। इस कानून का नाम एंटी रेप ऑर्डिनेंस 2020 है।

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बलात्कार पीड़िता की पहचान उजागर करना भी अपराध

पाकिस्तान में भी बलात्कार पीड़िता की पहचान उजागर करना अपराध माना जाता है। अगर इस मामले में किसी भी तरह की लापरवाही बरती जाती है तो जांच करने वाले पुलिस और सरकारी अधिकारियों पर जुर्माना और तीन साल की सजा का प्रावधान है। अगर कोई इस बारे में गलत जानकारी दे रहा है तो उसे भी सजा मिलती है। एक सर्वे के अनुसार, 2017 से 2021 तक पाकिस्तान में 21,900 महिलाओं के साथ बलात्कार के मामले दर्ज किए गए। लेकिन ये आंकड़े कम हैं, क्योंकि कई लोग सामाजिक डर के कारण ऐसे मामलों को दबा देते हैं।

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