India News (इंडिया न्यूज),  India-Pakistan Nuclear War: जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हाल ही में हुए भीषण आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच हालात फिर से तनावपूर्ण हो गए हैं। इस हमले में 26 लोगों की मौत के बाद भारत ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत पाकिस्तानी सीमा में आतंकी शिविरों पर हमला किया। जवाब में पाकिस्तान ने इसे ‘युद्ध की कार्रवाई’ बताया और चेतावनी दी कि इसका करारा जवाब दिया जाएगा। इसके साथ ही दोनों परमाणु हथियार संपन्न देशों के बीच जंग की आशंका गहराने लगी है, और विशेषज्ञों का कहना है कि यदि यह युद्ध परमाणु रूप लेता है तो इसका असर सिर्फ दक्षिण एशिया तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि पूरी दुनिया इसकी चपेट में आ सकती है।

किसके पास कितने परमाणु हथियार?

भारत और पाकिस्तान दोनों के पास सैकड़ों परमाणु हथियार हैं। अमेरिका स्थित थिंक टैंक ‘आर्म्स कंट्रोल एसोसिएशन’ के अनुसार, 2024 तक भारत के पास लगभग 172 और पाकिस्तान के पास करीब 170 परमाणु हथियार हैं। कुछ विश्लेषक मानते हैं कि पाकिस्तान के पास 200 तक परमाणु हथियार हो सकते हैं। दोनों देशों ने वर्षों में अपनी परमाणु क्षमता को इस उद्देश्य से विकसित किया है कि इससे युद्ध रोका जा सके, शुरू नहीं किया जाए। हालांकि, ताजा हालात में पाकिस्तान की ओर से खुलकर परमाणु हथियारों के इस्तेमाल की धमकियां दी जा रही हैं।

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पहली बार में ही जाएगी करोड़ों लोगों की जान

भारत की परमाणु नीति ‘पहले उपयोग नहीं’ (No First Use) की है। यानी भारत केवल तभी परमाणु हमला करेगा जब उस पर पहले परमाणु हमला हो चुका हो। इसके विपरीत, पाकिस्तान की रणनीति सीमित परमाणु हथियारों के इस्तेमाल से भारत जैसे बड़े और शक्तिशाली प्रतिद्वंद्वी को रोकने की रही है। अगर परमाणु युद्ध होता है, तो इसके नतीजे बेहद भयानक हो सकते हैं। कुछ रिपोर्टों के मुताबिक, दोनों देशों के पास मिलाकर करीब 250 परमाणु हथियार हैं। अगर इनमें से अधिकांश का इस्तेमाल हुआ, तो पहले चरण में ही 5 से 12.5 करोड़ लोगों की जान जा सकती है। भारत और पाकिस्तान के प्रमुख शहर या तो पूरी तरह से नष्ट हो जाएंगे या रहने लायक नहीं रहेंगे। स्वास्थ्य सेवाएं, परिवहन, बिजली और वित्तीय प्रणाली जैसे ढांचे ध्वस्त हो जाएंगे।

परमाणु के हमले से पड़ेगा अकाल

परमाणु विस्फोटों के कारण उठने वाले धुएं और आग के तूफान न केवल स्थानीय पर्यावरण को तबाह करेंगे, बल्कि पृथ्वी की जलवायु को भी गहरे स्तर पर प्रभावित करेंगे। इससे वैश्विक तापमान में गिरावट, सूरज की रोशनी में कमी और वैश्विक स्तर पर फसल उत्पादन में भारी गिरावट हो सकती है। परिणामस्वरूप पूरी दुनिया में भयंकर अकाल पड़ सकता है, जिससे अरबों लोग प्रभावित हो सकते हैं। परमाणु हथियार जब फटते हैं, तो विस्फोट स्थल पर तेज़ रोशनी के साथ भयानक आग का गोला उठता है जो कई किलोमीटर क्षेत्र को जला डालता है। विस्फोट के कारण हवा में इतनी गर्मी और दबाव बनता है कि लोगों का दम घुटने लगता है और अंदरूनी रूप से शरीर जल जाता है। यहां तक कि हड्डियां भी गल सकती हैं।

70% तक ओजोन परत होगी नष्ट

इससे निकलने वाला धुआं और कार्बन वातावरण में घने काले बादलों का निर्माण करता है जो सूरज की किरणों को धरती पर आने से रोकते हैं। इससे अंधकार और अम्लीय वर्षा होती है, जो लाखों लोगों की जान ले सकती है। वैज्ञानिकों का कहना है कि इन बादलों को हटने में कई साल लग सकते हैं। सबसे गंभीर प्रभाव ओजोन परत पर पड़ता है – 70% तक ओजोन परत नष्ट हो सकती है, जिससे खतरनाक पराबैंगनी किरणें सीधे पृथ्वी पर पहुंचेंगी और जीवन के लिए गंभीर खतरा पैदा करेंगी।

क्या है ‘गैर-परमाणु आक्रमण समझौता’?

हालांकि भारत और पाकिस्तान ने 1988 में ‘गैर-परमाणु आक्रमण समझौता’ (Non-Nuclear Aggression Agreement) किया था, जो 1991 से प्रभावी है। इसके तहत दोनों देश एक-दूसरे के परमाणु प्रतिष्ठानों पर हमला नहीं करेंगे और हर साल 1 जनवरी को अपने-अपने परमाणु संयंत्रों की सूची एक-दूसरे को सौंपते हैं। अब तक यह आदान-प्रदान लगातार 34 वर्षों से जारी है। बावजूद इसके, दोनों देशों ने वैश्विक ‘परमाणु अप्रसार संधि’ (NPT) पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं।

किन-किन देशों के पास परमाणु हथियार?

दुनिया में वर्तमान में नौ देश ऐसे हैं जिनके पास परमाणु हथियार हैं – अमेरिका, रूस, चीन, ब्रिटेन, फ्रांस, भारत, पाकिस्तान, उत्तर कोरिया और इज़राइल। फेडरेशन ऑफ अमेरिकन साइंटिस्ट्स (FAS) के अनुसार, 2025 की शुरुआत तक दुनिया में कुल मिलाकर 12,331 परमाणु हथियार मौजूद हैं, जिनमें से 88% अमेरिका और रूस के पास हैं। हालांकि अमेरिका अपने परमाणु भंडार को घटा रहा है, वहीं भारत, पाकिस्तान, चीन और उत्तर कोरिया अपने शस्त्रागार को बढ़ा रहे हैं। स्थिति जितनी नाजुक है, उतनी ही खतरनाक भी। विशेषज्ञ लगातार चेतावनी दे रहे हैं कि यदि भारत और पाकिस्तान के बीच परमाणु युद्ध छिड़ा, तो वह केवल दो देशों का मुद्दा नहीं रह जाएगा, बल्कि मानव सभ्यता के अस्तित्व के लिए गंभीर संकट बन जाएगा।

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