India News (इंडिया न्यूज), Indian Air Defence System: ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान बौखला गया है और भारत के आबादी वाले क्षेत्रों पर हमला कर रहा है। 8 मई की रात उसने भारत के 15 शहरों पर हमला कर दिया। पाकिस्तान एक के बाद एक ड्रोन के जरिए हमले कर रहा था, जिन्हें भारत ने नाकाम कर दिया। आतंक के आका को भारत का सीधा जवाब है कि अगर तुमने हमें छेड़ा तो हम तुम्हें नहीं छोड़ेंगे। अब पाकिस्तान भारत को नुकसान पहुंचाने की हर संभव कोशिश कर रहा है। लेकिन भारतीय एयर डिफेंस सिस्टम अभेद्य रक्षा कवच की तरह काम कर रहे हैं। आइए आज जानते हैं भारतीय एयर डिफेंस सिस्टम के बारे में।
एस-400 सिर्फ एयर डिफेंस सिस्टम
सुदर्शन चक्र के नाम से मशहूर एस-400 सिर्फ एयर डिफेंस सिस्टम नहीं बल्कि महायज्ञ है। यह हवा में ही हमलावर मिसाइलों, ड्रोन और हमलावर विमानों को नष्ट कर देता है। भारत ने इसे रूस से खरीदा था। इसकी मिसाइलों की रेंज 400 किलोमीटर तक है। इसकी स्पीड 4800 मीटर प्रति सेकंड है। यह 100 से 40,000 फीट की ऊंचाई पर दुश्मन के ठिकानों को तबाह कर सकता है।
इसके बाद बराक 8 सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल प्रणाली है। इसकी रेंज 100 किलोमीटर है और इसका इस्तेमाल नौसेना करती है।
मिसाइल डिफेंस सिस्टम
इसके बाद आकाश आता है, जो स्वदेशी सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल डिफेंस सिस्टम है। यह लड़ाकू विमान, बैलिस्टिक मिसाइल, ड्रोन और क्रूज मिसाइल को नष्ट कर सकता है। यह एक बार में 12 लक्ष्यों पर हमला करता है।
स्पाइडर जमीन से हवा में मार करने वाली डिफेंस सिस्टम है। इसकी रेंज 15 से 35 किलोमीटर है। यह विमान, ड्रोन, मानव रहित हवाई वाहन, हेलीकॉप्टर जैसी चीजों को निशाना बनाने में सक्षम है। इसे राफेल एडवांस्ड एयर सिस्टम ने इजरायल एयरोस्पेस इंडस्ट्रीज की मदद से विकसित किया है।
बैलिस्टिक मिसाइलों को मार गिराने वाला डिफेंस सिस्टम
भारत के पास भी बैलिस्टिक मिसाइलों को मार गिराने में सक्षम डिफेंस सिस्टम है। इसमें दो तरह की मिसाइलें हैं, जो 5000 किलोमीटर दूर से आने वाली बैलिस्टिक मिसाइलों को नष्ट कर देती हैं। इसमें पृथ्वी एयर डिफेंस ऊंची मिसाइलों को रोकती है, जबकि एडवांस्ड एयर डिफेंस कम दूरी की मिसाइलों को रोकती है।
एस-125 पेचोरा यह सोवियत मूल की तरह हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइल प्रणाली है। यह सिस्टम 60 साल पुराना है और लंबे समय से भारतीय वायुसेना की रीढ़ बना हुआ है। इस सिस्टम ने लगभग हर युद्ध में हिस्सा लिया है।