India News (इंडिया न्यूज), Hindu temples in Maldives: आपको जानकर आश्चर्य होगा कि भारत के पड़ोस में एक ऐसा देश है जहां हिंदू मंदिर बनाना किसी गुनाह के हम नहीं है। वहां नौकरी करने गए भारतीय लोगों को चोरी-छुपे पूजा अर्चना करनी पड़ती है। हैरानी होती है कि पड़ोसी देश में कोई हिंदू मंदिर नहीं है, जबकि एक समय में यह देश राजाओं का देश था और हिंदू और बौद्ध धर्म से भरा हुआ था। भारत और इस पड़ोसी देश के बीच संबंधों में उतार-चढ़ाव आते रहते हैं, लेकिन भारत इस देश की जीवन रेखा है, क्योंकि पानी से लेकर सब्जियों तक की आपूर्ति भारत से ही होती है।

अब हम आपको पहले उस देश का नाम बताएंगे और फिर बताएंगे कि वहां मंदिर क्यों नहीं बनाए जा सकते। वहां नौकरी के लिए गए हजारों हिंदू अपने त्योहार या धार्मिक अनुष्ठान सार्वजनिक रूप से क्यों नहीं कर सकते। इस देश का नाम मालदीव है. मालदीव एक ऐसा देश है, जहां संविधान के अनुसार सभी नागरिकों का मुस्लिम होना अनिवार्य है। यहां गैर-इस्लामिक धार्मिक प्रतीकों, प्रथाओं या पूजा स्थलों पर सख्त प्रतिबंध है। यहां कोई हिंदू मंदिर नहीं है।

क्षेत्रफल की दृष्टि से दिल्ली इससे पांच गुना बड़ी

मालदीव की आबादी करीब 5.5 लाख (5,50,000) है। इसमें वहां कार्यरत विदेशियों की आबादी भी शामिल है। शिक्षा, स्वास्थ्य और होटल क्षेत्र में भारत और श्रीलंका के हजारों लोग यहां काम करते हैं। मालदीव का कुल क्षेत्रफल 298 वर्ग किलोमीटर (भूमि क्षेत्र) है। क्षेत्रफल की दृष्टि से यह दिल्ली (1,483 वर्ग किलोमीटर) के पांचवें हिस्से के बराबर है जबकि यह भारत के छोटे से केंद्र शासित प्रदेश पुडुचेरी (492 वर्ग किलोमीटर) से भी छोटा है। मालदीव 1,192 छोटे-बड़े द्वीपों का समूह है, जिनमें से केवल 200 पर ही लोग रहते हैं। भारतीय राज्य केरल के कोच्चि से मालदीव की दूरी 450-500 किलोमीटर है।

क्यों नहीं है हिंदू मंदिर?

मालदीव में हिंदू मंदिर नहीं बनाए जा सकते, इसकी वजह इसका संविधान, कानूनी ढांचा और धार्मिक नीतियां हैं। मालदीव के संविधान (2008 में संशोधित) में साफ तौर पर कहा गया है कि मालदीव 100% इस्लामिक देश है। इस देश में नागरिकता सिर्फ इस्लाम को मानने वालों को ही दी जाएगी। संविधान के अनुच्छेद 9 के अनुसार यहां गैर-इस्लामिक धर्मों के पूजा स्थलों का प्रचार, अभ्यास या निर्माण प्रतिबंधित है। इसमें हिंदू मंदिर, चर्च, गुरुद्वारा या किसी अन्य गैर-इस्लामिक धार्मिक स्थल का निर्माण शामिल है।

सार्वजनिक पूजा, धार्मिक गतिविधियों की अनुमति नहीं?

यहां संविधान में संशोधन करके यह सुनिश्चित किया गया है कि देश में मस्जिदों को छोड़कर किसी अन्य धर्म के पूजा स्थलों की अनुमति नहीं होगी। इस देश में रहने वाले हिंदू सार्वजनिक स्थानों या खुले स्थानों पर पूजा या धार्मिक गतिविधियां और अनुष्ठान नहीं कर सकते। कहा जाता है कि यहां 1500 से 2000 हिंदू अस्थायी रूप से रहते हैं, जो काम के लिए यहां आते हैं।

हिंदू यहां गुप्त रूप से पूजा करते

मालदीव में मूर्ति पूजा या सामूहिक धार्मिक समारोह आयोजित करना असंभव है। हिंदू प्रवासी अपने आवास में बहुत ही गुप्त और सीमित तरीके से पूजा करते हैं। मालदीव में पूजा के लिए सामग्री आसानी से उपलब्ध नहीं है। एयरपोर्ट पर सख्त जांच के कारण उन्हें गुप्त रूप से लाना पड़ता है, क्योंकि धार्मिक प्रतीकों को लाना प्रतिबंधित है। अगर ऐसा पाया जाता है, तो जुर्माना, जेल और निर्वासन का खतरा है।

इसलिए मालदीव में रहने वाले हिंदू प्रवासी अपनी पूजा को बहुत गुप्त रखते हैं और स्थानीय लोगों या अधिकारियों को इसके बारे में नहीं बताते हैं। उदाहरण के लिए, अगर कोई हिंदू कर्मचारी अपने कमरे में पूजा करता है और स्थानीय मकान मालिक या सहकर्मी को इसके बारे में पता चलता है, तो उसे परेशानी का सामना करना पड़ सकता है।

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अन्य धर्मों के लोगों के लिए नागरिकता नहीं

मालदीव में विदेशी प्रवासी हैं, लेकिन उन्हें न तो नागरिकता मिलती है और न ही धार्मिक अभ्यास के लिए सार्वजनिक सुविधाएं। मालदीव में गैर-इस्लामिक धार्मिक गतिविधियों को बढ़ावा देना या उनमें भाग लेना एक गंभीर अपराध माना जाता है। इसके लिए सजा कारावास, जुर्माना या निर्वासन हो सकती है। इसलिए कोई भी संगठन या व्यक्ति मंदिर बनाने का जोखिम नहीं उठाता।

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