India News (इंडिया न्यूज),Indian History: मौजूदा समाज में तवायफों को बहुत सम्मान की नजर से नहीं देखा जाता है। यह छवि हिंदी फिल्मों ने बनाई है, जिसमें उन्हें जिस्म बेचने वाली वेश्याओं के तौर पर दिखाया जाता है। इसके उलट पुराने भारतीय समाज में तवायफों को कविता, संगीत, नृत्य और गायन जैसी कलाओं को बढ़ावा देने वाली कलाकार माना जाता था। आपको हैरानी हो सकती है, लेकिन असल में पुराने जमाने में तवायफें शिक्षिका होती थीं जो बड़े घरानों के युवाओं को तहजीब सिखाती थीं। उस वक्त तवायफों को सम्मान की नजर से देखा जाता था। वे बहुत अमीर होती थीं। लखनऊ की तवायफों के सबसे ज्यादा टैक्स देने के दस्तावेज भी मौजूद हैं। हम आपको ऐसी ही 5 तवायफों के बारे में बता रहे हैं, जिन्होंने इस पेशे को गरिमा दी और उनका नाम आज भी बड़े सम्मान से लिया जाता है।
कौन होती हैं नगरवधू
नगरवधू का मतलब होता है पूरे नगरवासियों की पत्नी। शहर के प्रतिष्ठित लोगों द्वारा चुनी गई सुंदर महिला जो नाच-गाकर लोगों का मनोरंजन करती थी। उसका मुख्य काम राजाओं, मंत्रियों और बड़े लोगों को खुश रखना होता था। हालांकि नगरवधू बनने के बाद ही एक महिला को पता चलता है कि यह काम कितना मुश्किल और खतरनाक है। इस खतरे ने ही उसे साहसी और राजनीतिज्ञ बनाया। उस काल में राज नर्तकी, नगरवधू, गणिका, रूपजीवा, देवदासी हुआ करती थीं। सबके काम अलग-अलग हुआ करते थे।
इनकी खूबसूरती के दिवाने थे लोग
मुगल काल में भी तवायफों का काम नाच-गाकर राजाओं और लोगों का मनोरंजन करना था। इस काल में कई ऐसी तवायफें थीं जो बेहद खूबसूरत थीं और जब लोग इन तवायफों के दीवाने हो जाते थे, तब असली राजनीति या झगड़े शुरू होते थे। कई चतुर तवायफों ने इसका फायदा उठाया और अपना रुतबा बढ़ाने में सफल रहीं और कईयों ने अपनी जिंदगी बर्बाद कर ली। जिन तवायफों में हुनर, ज्ञान और चतुराई के साथ-साथ शिष्टाचार भी था, उन्होंने अप्रत्यक्ष रूप से सल्तनत पर समानांतर शासन किया। अंगिया, मिस्सी और नथ उतारने के बाद ही कोई तवायफ बनता था। अगर खूबसूरती की बात करें तो ये 5 तवायफें मशहूर थीं।
गौहर जान
बनारस और कलकत्ता की यह मशहूर तवायफ खूबसूरत होने के साथ-साथ देश की बहुत मशहूर गायिका भी थीं। यही वजह थी कि उस दौर में वह करोड़पति बन गईं। कहा जाता है कि वह 101 सोने के सिक्के मिलने पर ही महफिल में गाती थीं। अर्मेनियाई दंपत्ति की संतान गौहर जान का असली नाम एंजेलिना योवर्ड था और उनके पिता का नाम विलियम योवर्ड और मां का नाम विक्टोरिया था। वह कीर्तन करने में माहिर थीं।
बेगम हजरत महल
वह बेहद खूबसूरत थीं और कई नवाब और राजा उनके मुरीद थे। उनका असली नाम मुहम्मदी खानम था। उन्हें ‘अवध की बेगम’ भी कहा जाता था। उन्हें खवासिन के तौर पर शाही हरम में शामिल किया गया था। बाद में अवध के नवाब वाजिद अली शाह ने उनसे शादी कर ली। शादी के बाद उनका नाम हजरत महल रखा गया। जब अंग्रेजों ने हमला किया तो नवाब भाग गए लेकिन हजरत महल ने मोर्चा संभाला और अंग्रेजों से लड़कर स्वतंत्रता सेनानी बन गईं। उन्होंने अंग्रेजों की नाक में दम कर दिया था। बाद में उन्हें भी भागना पड़ा। वे नेपाल चली गई थीं।
ज़ोहरा बाई
उन्हें ज़ोहरा बाई अग्रवाली के नाम से जाना जाता था। वे भारतीय शास्त्रीय संगीत में पारंगत थीं और अपनी मर्दाना आवाज़ के लिए भी जानी जाती थीं। गौहर जान के बाद उनका नाम गायकी में मशहूर हो गया। उन्हें उस्ताद शेर खान जैसे संगीतकारों ने प्रशिक्षित किया था।
रसूलन बाई
वे भी बेहद खूबसूरत थीं। बनारस घराने की इस महान गायिका का जन्म 1902 में एक गरीब परिवार में हुआ था। वे अपनी मां और उस्ताद शामू खान से प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद मशहूर हुईं। रसूलन बाई वो कलाकार हैं जिन्हें उस्ताद बिस्मिल्लाह खान बड़े सम्मान से बुलाते थे। वे उन्हें दिव्य आवाज़ कहते थे।
जद्दन बाई
वे भी एक संगीतकार थीं. जद्दन बाई का जन्म 1892 में हुआ था. संगीत की दुनिया में उनका नाम बहुत मशहूर था. वह फिल्म अभिनेत्री नरगिस की माँ और संजय दत्त की दादी थीं। वह गायिका, संगीतकार, अभिनेत्री और फिल्म निर्माता जैसे विभिन्न कौशलों में माहिर थीं। वह भारतीय फिल्म उद्योग की पहली महिला संगीत निर्देशक भी थीं।
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