India News(इंडिया न्यूज),Indian History: ये कहानी है अवध के शासक की, जिन्हें रंगीला नवाब कहा जाता है। वो हमेशा महिलाओं से घिरे रहते थे। वो हमेशा कामुकता में डूबे रहते थे। वो देश के इकलौते नवाब थे, जिनकी सुरक्षा महिला रक्षक करती थीं। उन्होंने इसके लिए खास तौर पर अफ्रीकी अश्वेत महिलाओं को नियुक्त किया था। उन्होंने आधिकारिक तौर पर 365 बार शादी की। शायद ही किसी ने इतने तलाक दिए होंगे जितने उन्होंने दिए। उनका पहला रिश्ता आठ साल की उम्र में हुआ था, वो भी एक अधेड़ उम्र की नौकरानी से।
नवाबी दौर का चौंकाने वाला किस्सा
अवध के नवाब वाजिद अली शाह का नाम तो सभी ने सुना ही होगा। खाना बनाने, नृत्य और दूसरी कलाओं के क्षेत्र में वाजिद अली का योगदान अद्भुत था। लेकिन ये नवाब एक बेहतरीन प्रेमी भी थे। वो अपना ज्यादातर समय किन्नरों, खूबसूरत लड़कियों और सारंगी वादकों के बीच बिताते थे। वाजिद अली ने अपने जीवन के आखिरी सालों में 300 से ज्यादा बार शादियां की थीं। रोज़ी लेवेलन जोन्स की किताब “द लास्ट किंग इन इंडिया: वाजिद अली शाह” में इस बारे में विस्तार से लिखा गया है। भारत के इस आखिरी बादशाह ने एक ही समय में कई महिलाओं को तलाक दिया था। वाजिद अली शाह विदेशी व्यापारियों के साथ आए अफ्रीकी गुलामों को अपने अंगरक्षक के तौर पर रखते थे। बाद में उनमें से कुछ से उन्हें प्यार भी हो गया।
उन्होंने हर दिन एक से ज़्यादा महिलाओं से शादी की
इसमें कोई संदेह नहीं है कि वाजिद अली शाह के जीवन के आखिरी दिनों में एक समय ऐसा भी था जब उन्होंने हर दिन एक या उससे ज़्यादा महिलाओं से शादी की। यह कहा जा सकता है कि नवाब ने साल में जितने दिन होते हैं, उससे ज़्यादा महिलाओं से शादी की। जब अंग्रेजों ने अवध राज्य पर कब्ज़ा किया और वाजिद अली शाह को कोलकाता जाने पर मजबूर किया, तो उन्होंने वहां लखनऊ जैसी दुनिया बसाने की कोशिश की। मुगल बादशाह औरंगजेब की मौत के बाद देश में तीन बड़ी रियासतें उभरीं, अवध उनमें से एक थी। 130 साल तक अस्तित्व में रहने के बाद इसे ईस्ट इंडिया कंपनी ने अपने कब्जे में ले लिया।
राजा की सभी पत्नियाँ परीखाने में रहती थीं
राजा ने कोलकाता के बाहर नदी किनारे गार्डन रिज नाम से अपनी जागीर बनवाई थी। उन्होंने अपने जीवन के आखिरी 30 साल यहीं बिताए। इस रिज में नवाब का एक खास चिड़ियाघर और परीखाना था, जिसमें उनकी सभी पत्नियाँ रहती थीं। वाजिद अली शाह अपनी पत्नियों को परी कहते थे। परी का मतलब है वो गुलाम जिन्हें नवाब पसंद करते थे, जिनसे वो अस्थायी तौर पर शादी करते थे। अगर इनमें से कोई गुलाम नवाब के बच्चे की माँ बनती थी, तो उसे महल कहा जाता था।
अपने जीवन के आखिरी दिनों में 375 महिलाओं से शादी की
वाजिद अली शाह की कई पत्नियाँ रखने के लिए भी आलोचना की जाती थी। संवाद प्रकाशन द्वारा वाजिद अली शाह पर प्रकाशित एक किताब में लेवेलिन जोन्स कहते हैं कि अपने जीवन के आखिरी दिनों में उन्होंने करीब 375 महिलाओं से शादी की। उनके वंशज इस बात का बड़ा दिलचस्प जवाब देते हैं कि उन्होंने ऐसा क्यों किया। कहा जाता है कि राजा इतने नेक इंसान थे कि जब तक कोई महिला उनसे अस्थायी तौर पर शादी नहीं कर लेती थी, तब तक वे किसी महिला को अपनी सेवा में नहीं आने देते थे। महिलाओं के साथ अकेले रहना उनके लिए शिष्टाचार की बात नहीं थी।
अपने इर्द-गिर्द अफ्रीकी महिला अंगरक्षक रखते थे
इतिहास में वाजिद अली शाह को ऐसा राजा माना जाता है, जो महिलाओं से घिरा रहना पसंद करता था। यहां तक कि जब वे बाहर जाते थे, तो अफ्रीकी महिला सैनिक उनकी अंगरक्षक के तौर पर उनके साथ रहती थीं। जो विदेशी व्यापारियों के जरिए उनके पास आती थीं। उन्होंने इनमें से कुछ महिलाओं से शादी भी की। उस दौर में राजा और नवाब गोरी चमड़ी वाली अंग्रेज महिलाओं से शादी करना चाहते थे, लेकिन वाजिद अली को काली चमड़ी वाली महिलाएं पसंद थीं।
महिला अंगरक्षकों से भी शादी की
यास्मीन महल, जिनसे राजा ने 1843 में शादी की थी, अफ्रीकी मूल की थीं। उनके छोटे काले घुंघराले बाल थे। उनके चेहरे की बनावट गैर-भारतीय थी, दूसरी अफ्रीकी पत्नी का नाम अजीब खानम था।
आठ साल की उम्र में अधेड़ उम्र की नौकरानी से संबंध बनाए थे
रोज़ी जोन्सी की किताब में उल्लेख है कि नवाब का आठ साल की उम्र में अधेड़ उम्र की नौकरानी से पहला संबंध था। जिसके बारे में उन्होंने अपनी आत्मकथा “परीखाना” में लिखा है कि अधेड़ उम्र की नौकरानी ने जबरदस्ती यह संबंध बनाया था। इसके बाद दो साल तक यह चलता रहा। जब उसे नौकरी से निकाल दिया गया तो अमीरन नाम की एक और नौकरानी आई। वाजिद अली ने उसके साथ भी संबंध बनाए।
परीखाना के नाम से लिखवाई अपनी आत्मकथा
नवाब वाजिद अली शाह ने अपनी आत्मकथा भी लिखवाई, जिसका नाम “परीखाना” है। इसे “इश्कनामा” भी कहते हैं। नवाब ने करीब 60 किताबें लिखी थीं। लेकिन नवाब की मौत के बाद अंग्रेजों ने इसे उनके म्यूजियम से गायब करवा दिया।
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बाद में उन्होंने बड़ी संख्या में पत्नियां छोड़ी
जब अंग्रेजों ने राजा को लखनऊ से कोलकाता भेजा तो उससे पहले उन्होंने कई अस्थाई और स्थाई पत्नियां छोड़ी। कोलकाता जाने के बाद उन्होंने कई शादियां कीं। फिर उन्होंने इन शादियों को भी इसी तरह खत्म किया। और उन्हें भी इसी तरह छोड़ दिया। हालांकि, यह मामला काफी विवादित रहा। क्योंकि अंग्रेज उनके इस कृत्य के खिलाफ थे। बाद में वाजिद अली के पास पैसे खत्म होने लगे। वह मुआवजे और कर्मचारियों के वेतन के जाल में फंसने लगे। नतीजतन, वह कर्ज में डूबने लगे। 21 सितंबर 1887 को जब वाजिद अली शाह की मौत हुई तो उनका जनाजा निकाला गया और इसमें हजारों लोग शामिल हुए।
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