India News (इंडिया न्यूज), Kaccha Kalva Folktales: भारतीय पौराणिक लोककथाओं और तांत्रिक परंपराओं में कई ऐसे रहस्य छिपे हैं, जो आज भी लोगों को चौंका देते हैं। इन्हीं में से एक नाम है कच्चा कलवा, जिसे उत्तर भारत के कुछ हिस्सों में मसान के नाम से भी जाना जाता है। यह एक रहस्यमयी और डरावनी आत्मा मानी जाती है, जिससे जुड़ी कहानियाँ वर्षों से लोकमानस में घूमती आ रही हैं। ऐसी मान्यता है कि कच्चा कलवा उन बच्चों की आत्मा होती है जिनका अंतिम संस्कार विधिपूर्वक नहीं हुआ होता। ऐसे में उनकी आत्मा भटकती रहती है और कुछ तांत्रिक इन आत्माओं को विशेष साधना के ज़रिए नियंत्रित करने का प्रयास करते हैं। यह साधना बेहद जटिल और खतरनाक मानी जाती है। हालांकि यह पूरी धारणा आज के आधुनिक युग में अंधविश्वास की श्रेणी में आती है, लेकिन पहले के ज़माने में यह भारतीय लोककथा का हिस्सा थी, जिसे पीढ़ी दर पीढ़ी बताया जाता था।

क्या है इस कच्चा कलवा का रहस्य?

भारतीय तंत्र साधना में ऐसी आत्माओं को साधने की परंपरा रही है। कहा जाता है कि तांत्रिक कच्चा कलवा को नियंत्रित कर किसी व्यक्ति पर प्रभाव डाल सकते हैं चाहे वह प्रतिशोध लेना हो या किसी विशेष कार्य में सफलता प्राप्त करना। ऐसा माना जाता है कि इस प्रक्रिया में नाबालिग बच्चे के शव के कफन का प्रयोग होता है और यह साधना आमतौर पर अर्द्धरात्रि को सुनसान स्थान पर की जाती है।

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किसके लिए खतरनाक?

लोककथाओं के अनुसार, यह आत्मा गर्भवती महिलाओं के लिए विशेष रूप से खतरनाक मानी जाती थी। माना जाता था कि अगर कोई गर्भवती महिला कच्चा कलवा के प्रभाव में आ जाए तो गर्भपात जैसी घटनाएँ हो सकती हैं। इसके कारण, ग्रामीण क्षेत्रों में ऐसी साधनाओं के दौरान महिलाओं को दूर रखने की सख्त हिदायत दी जाती थी।

ये महज एक फोकटेल्स का हिस्सा

इस आत्मा को शांत करने के लिए कई तांत्रिक उपायों का वर्णन भी मिलता है। कुछ खास तरीकों के ज़रिए आत्मा को दूर करने या शांत करने की कोशिश भी की जाती थी। हालांकि, ये सब उपाय आज की दृष्टि से प्राचीन लोकविश्वास और फोकटेल्स (Folktales) माने जाते हैं, जिनकी कोई वैज्ञानिक पुष्टि नहीं है।

नहीं है कोई सच्चाई

कच्चा कलवा आज भी ग्रामीण भारत की कई कहानियों में जीवित है। यह एक ऐसा उदाहरण है जहाँ भारतीय पौराणिकता, लोककथाएँ और तांत्रिक परंपराएँ आपस में जुड़कर एक रहस्यपूर्ण कथा का निर्माण करती हैं। हालांकि आज के दौर में विज्ञान और तर्क की दृष्टि से इन बातों को अंधविश्वास माना जाता है, और इन सब बातों का सत्य से कोई लेना-देना नहीं होता है। विज्ञान की नजर में ये सब महज अंधविस्वास है।

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