India News (इंडिया न्यूज), Hydrogen Bomb: क्या आपने कभी सोचा है कि दुनिया का सबसे घातक हथियार कौन सा है? आप में से अधिकतर लोगों के दिमाग में सबसे पहला ख्याल परमाणु बम का आएगा। दुनिया ने इस शक्तिशाली बम से हुई तबाही को सिर्फ एक बार देखा है, जब अमेरिका ने जापान के हिरोशिमा-नागासाकी पर परमाणु हमला किया था। तब से कई दशक बीत चुके हैं, लेकिन तबाही के निशान अभी भी ताजा हैं।
हालांकि, अगर हम आपसे कहें कि दुनिया का सबसे शक्तिशाली हथियार परमाणु बम नहीं है, तो आप सोच में पड़ जाएंगे। इससे पहले कि आप अपना दिमाग ज्यादा खपाएं, हम आपको बता देते हैं। दुनिया का सबसे घातक और शक्तिशाली हथियार हाइड्रोजन बम है। इसकी ताकत किसी भी परमाणु बम से 1000 गुना ज्यादा है। जब अमेरिका ने 6 अगस्त, 1945 को जापान पर परमाणु बम गिराया था, तो 140,000 लोग मारे गए थे और 70 शहर तबाह हो गए थे। ऐसे में आप अंदाजा लगा सकते हैं कि परमाणु बम से 1000 गुना ज्यादा शक्तिशाली ‘हाइड्रोजन बम’ से कितनी तबाही हुई होगी।
हाइड्रोजन बम की ताकत क्या है?
हाइड्रोजन बम उसी प्रक्रिया पर काम करता है जो सूर्य के गर्भ में होती है। यानी लगातार विस्फोट से गर्मी पैदा होती है। किसी भी हाइड्रोजन बम को बनाने के लिए ड्यूटेरियम और ट्रिटियम का इस्तेमाल किया जाता है। यह बम आइसोटोप के संलयन के सिद्धांत पर काम करता है, यही प्रक्रिया सूर्य के गर्भ में भी होती है। हाइड्रोजन बम तीन चरणों में फटता है। पहले दो चरणों में 50 लाख डिग्री सेल्सियस गर्मी पैदा होती है। यह गर्मी इसके मुख्य रिएक्टर को फटने में मदद करती है। इसके फटने के बाद इतनी रोशनी पैदा होती है जितनी सूर्य में होती है। यानी इसे देखकर कोई व्यक्ति अंधा हो सकता है।
हाइड्रोजन बम कितने देशों के पास है?
आधिकारिक तौर पर हाइड्रोजन बम दुनिया के कुछ ही देशों के पास है। ये देश हैं- अमेरिका, रूस, ब्रिटेन, चीन, भारत, पाकिस्तान और इजरायल। अमेरिका ने सबसे पहले 1952 में इसका परीक्षण किया था। इसके एक साल बाद रूस ने भी यह बम बना लिया। भारत ने 1998 में इस बम का परीक्षण किया था। यह इतना शक्तिशाली है कि यह जीवन को पूरी तरह से नष्ट कर सकता है। यही कारण है कि इतिहास में किसी भी युद्ध में हाइड्रोजन बम का इस्तेमाल नहीं किया गया।