India News (इंडिया न्यूज), Mahakumbh Diza Sharma: प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ 2025 की चर्चा जोरों पर है। सोशल मीडिया पर महाकुंभ से जुड़े वीडियो और तस्वीरें लगातार वायरल हो रही हैं। हाल ही में ‘आईआईटी बाबा’ अभय सिंह, ‘सुंदर साध्वी’ हर्षा रिछारिया और माला बेचने वाली मोनालिसा ने खूब सुर्खियां बटोरी थीं। अब एक और नया नाम सामने आया है, डिजा शर्मा। सोशल मीडिया पर लोग उन्हें हर्षा रिछारिया की बहन बता रहे हैं, लेकिन डिजा ने इस दावे को खारिज कर दिया है।
एयरहोस्टेस से आध्यात्म की ओर सफर
डिजा शर्मा पहले एक एयरलाइन में एयरहोस्टेस थीं, अब वो आध्यात्म की ओर बढ़ रही हैं। उन्होंने बताया कि उनकी मां का छह महीने पहले निधन हो गया था, जिसने उनके जीवन को पूरी तरह बदल दिया है। इस घटना के बाद उन्होंने भौतिक जीवन से अलग होकर आध्यात्म में कदम रखने का फैसला किया है। डिजा शर्मा के अनुसार, वह फिलहाल साध्वी नहीं बनी हैं और इस उम्र में खुद को साध्वी कहना उचित नहीं समझतीं।
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मैं आध्यात्मिक खोज में- डिजा
डिजा का कहना है, “अभी मैं साध्वी नहीं हूं। मेरी उम्र 29 साल है और मुझे नहीं लगता कि अभी साध्वी बनने का सही समय है। मैं आध्यात्मिक जीवन को समझने और अनुभव करने के लिए प्रयागराज के महाकुंभ में आई हूं।” उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि उनके पिता को उनके इस निर्णय से कोई आपत्ति नहीं है।
हर्षा रिछारिया से हुई तुलना
सोशल मीडिया पर कई लोग डिजा शर्मा को ‘सुंदर साध्वी’ के नाम से मशहूर हर्षा रिछारिया से जोड़ रहे हैं। इस पर डिजा ने साफ कहा, “मैं न हर्षा रिछारिया की बहन हूं और न ही बनना चाहती हूं। हर्षा एक अभिनेत्री और इंफ्लुएंसर हैं, जबकि मैं आध्यात्मिक खोज में हूं। हमारा कोई संबंध नहीं है।” बता दें कि हर्षा रिछारिया उत्तराखंड से हैं और निरंजनी अखाड़े से जुड़ी हुई हैं। हाल ही में वह महाकुंभ में रथ पर बैठने को लेकर विवादों में आई थीं।
रुद्राक्ष पहनने और लुक को लेकर सफाई
डिजा के गेटअप को लेकर भी सोशल मीडिया पर कई तरह की चर्चाएं हो रही हैं। उन्होंने बताया कि वह पहले से ही रुद्राक्ष पहनती रही हैं और उनकी सभी मालाएं विधिवत पूजित हैं। उन्होंने कहा, “मैं जिस तरह रहती हूं, वही मेरा स्वाभाविक रूप है। मैं दिखावे के लिए कुछ भी नहीं कर रही हूं।”
धन कमाने का कोई फायदा नहीं-डिजा
डिजा के मुताबिक, मां के निधन के बाद उन्हें अहसास हुआ कि जीवन में सिर्फ धन कमाने से कुछ हासिल नहीं होता। उन्होंने कहा, “अगर अपने ही साथ न रहें, तो कमाई और भौतिक सुख-सुविधाओं का कोई फायदा नहीं। इसी सोच ने मुझे आध्यात्मिकता की ओर मोड़ दिया है।”
IIT बाबा पर क्या बोलीं डिजा?
महाकुंभ में चर्चा का विषय बने ‘आईआईटी बाबा’ अभय सिंह को लेकर भी डिजा ने अपनी राय रखी। उन्होंने कहा कि हर व्यक्ति के जीवन में कोई न कोई ऐसा पल आता है जो उसे बदल देता है। डिजा ने कहा, “मेरे साथ भी छह महीने पहले एक बड़ी घटना घटी, जिसने मुझे बदल दिया। हो सकता है, आईआईटी बाबा के साथ भी ऐसा ही हुआ हो।” प्रयागराज के महाकुंभ में जहां एक ओर संत-महात्माओं की उपस्थिति है, वहीं दूसरी ओर डिजा शर्मा जैसी नई पीढ़ी के लोग भी आध्यात्म की ओर बढ़ रहे हैं। डिजा ने साध्वी बनने से इनकार जरूर किया है, लेकिन उनकी आध्यात्मिक यात्रा ने लोगों का ध्यान आकर्षित किया है।