India News (इंडिया न्यूज), UP Crime News: उत्तर प्रदेश के महोबा जिले के कुलपहाड़ कोतवाली कस्बे से एक हृदय विदारक घटना सामने आई है। 25 वर्षीय गर्भवती महिला नेहा (परिवर्तित नाम) को उसके पति और ससुराल वालों ने प्रताड़ित करने के गंभीर आरोप लगाए गए हैं। यह मामला समाज में महिलाओं के प्रति हिंसा और दहेज प्रथा जैसी कुरीतियों का दुखद उदाहरण है। आइए जानते हैं इस घटना की पूरी कहानी।
शादी के बाद से ही शुरू हुई प्रताड़ना
नेहा की शादी तीन साल पहले उसके मोहल्ले के ही संजय (परिवर्तित नाम) से हुई थी। शादी के बाद से ही उसे दहेज के लिए परेशान किया जाने लगा। परिवार में नेहा की डेढ़ साल की बेटी और 7 महीने का बेटा है। बावजूद इसके, पति और ससुराल वाले उससे लगातार जमीन और पैसे की मांग कर रहे थे। जब नेहा ने इन मांगों को पूरा करने से इनकार किया, तो उसकी जिंदगी नारकीय बना दी गई।
हेयर डाई खिलाकर जान से मारने की कोशिश
घटना के अनुसार, नेहा को उसके पति संजय, ससुर राजू और सास अनीता ने बेरहमी से पीटा और फिर उसे जबरन हेयर डाई खिला दी। नेहा की तबीयत बिगड़ने पर उसने अपनी मां और पिता को घटना की जानकारी दी। गंभीर हालत में उसे सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र कुलपहाड़ ले जाया गया, जहां से उसे जिला अस्पताल रेफर कर दिया गया। फिलहाल, नेहा का उपचार जारी है।
पीड़िता की मां का दर्द
नेहा की मां ने अपनी बेटी के साथ हो रही प्रताड़ना की कहानी साझा की। उन्होंने बताया कि शादी के बाद से ही नेहा को उसके पति और ससुराल वाले मारपीट और ताने मारने का शिकार बना रहे थे। मां का कहना है कि संजय लगातार नेहा से रुपये लाने और जमीन नाम कराने की मांग करता था। जब उनकी बेटी ने इन मांगों को पूरा करने से मना कर दिया, तो उसके साथ यह बर्बरता हुई।
पुलिस की कार्रवाई
नेहा की मां की शिकायत पर पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया है। जब पुलिस ने ससुराल वालों से पूछताछ करने के लिए उनके घर पहुंची, तो सभी फरार हो चुके थे। पुलिस ने आरोपियों की तलाश शुरू कर दी है।
समाज के लिए चिंता का विषय
यह घटना समाज में महिलाओं के प्रति होने वाले अत्याचार और दहेज प्रथा की भयावह स्थिति को उजागर करती है। नेहा की कहानी उन लाखों महिलाओं की व्यथा का प्रतीक है, जो अपनी आवाज उठाने की हिम्मत नहीं कर पातीं। इस घटना से यह स्पष्ट होता है कि महिलाओं को आर्थिक स्वतंत्रता और शिक्षा देकर सशक्त करना कितना आवश्यक है।
नेहा की यह कहानी न केवल दुखद है, बल्कि समाज के लिए एक चेतावनी भी है। महिलाओं के अधिकारों की रक्षा के लिए कानून और सामाजिक जागरूकता दोनों ही जरूरी हैं। यह घटना हमें सोचने पर मजबूर करती है कि क्या हम एक ऐसा समाज बना पाए हैं, जहां हर महिला सम्मान और सुरक्षा के साथ जी सके?