India News (इंडिया न्यूज), Matuknath Spoke On Mahakumbh: लव गुरु के नाम से मशहूर प्रोफेसर मटुकनाथ एक बार फिर अपने विवादित बयानों को लेकर सुर्खियों में हैं। इस बार उन्होंने प्रयागराज में आयोजित महाकुंभ को लेकर तीखी टिप्पणी की है। मटुकनाथ ने कुंभ मेले को दुनिया की “सबसे गंदी चीज” करार दिया है और वहां आए साधु-संतों को “ढोंगी और पाखंडी” बताया है। टीवी9 भारतवर्ष से बातचीत के दौरान मटुकनाथ ने कहा कि महाकुंभ में कहीं भी साधना और अध्यात्म नजर नहीं आता। उन्होंने साधुओं की विभिन्न तपस्याओं और साधनाओं को दिखावा बताते हुए कहा कि यह सब सिर्फ ढोंग है। उनके अनुसार, कुंभ में कुछ साधु कांटों पर लेटते हैं, कुछ आग पर बैठते हैं, तो कुछ अजीबोगरीब हरकतें करते हैं, लेकिन इसका धर्म और अध्यात्म से कोई लेना-देना नहीं है।
विवेकानंद और रामकृष्ण परमहंस ने ऐसी साधना नहीं बताई- मटुकनाथ
मटुकनाथ ने कहा कि अगर धर्म और साधना की बात करें तो कबीर, स्वामी विवेकानंद, और रामकृष्ण परमहंस ने कभी भी ऐसी क्रियाओं का समर्थन नहीं किया। उन्होंने महाकुंभ को “पाखंड और अंधविश्वास का अड्डा” बताते हुए कहा कि यहां धर्म का नामोनिशान तक नहीं है। उनके अनुसार, यहां वही लोग आ रहे हैं जो अघोरपंथ से जुड़े हैं, और वे किसी भी तरह से सच्चे साधु नहीं हैं, बल्कि “मूढ़ मति और अभागे लोग” हैं।
महाकुंभ धर्म नहीं, भ्रष्टाचार और राजनीति का खेल-मटुकनाथ
अपने बयान को और अधिक विवादित बनाते हुए मटुकनाथ ने कुंभ मेले को भ्रष्टाचार और राजनीति का मंच बताया। उन्होंने आरोप लगाया कि यहां साधना और अध्यात्म के नाम पर सिर्फ दिखावा होता है, जिससे कुछ लोग अपनी राजनीति और व्यवसाय को चमकाने का काम करते हैं। उन्होंने कहा कि यह सब एक बड़ा व्यापार बन चुका है, जिसमें धार्मिकता की जगह केवल प्रदर्शन और पाखंड है।
लिव-इन और समलैंगिकता पर भी बोले मटुकनाथ
इस विशेष बातचीत के दौरान मटुकनाथ ने न सिर्फ महाकुंभ पर बल्कि शादी, लिव-इन और समलैंगिक रिश्तों पर भी अपनी राय रखी। उन्होंने शादी को व्यक्ति की स्वतंत्रता में बाधक बताया, जबकि लिव-इन रिलेशनशिप को अधिक तार्किक और सहज बताया। उन्होंने समलैंगिक संबंधों को लाचारी में बना रिश्ता करार दिया।
पहले भी दे चुके हैं विवादित बयान
यह पहली बार नहीं है जब मटुकनाथ ने इस तरह के विवादास्पद बयान दिए हैं। इससे पहले भी वे अपने निजी जीवन और प्रेम संबंधों को लेकर सुर्खियों में रहे हैं। अब महाकुंभ पर उनकी तीखी टिप्पणी ने धार्मिक समुदाय और उनके समर्थकों के बीच नई बहस छेड़ दी है।