India News(इंडिया न्यूज), Indian prisoners in Nepal: 2024 की जनवरी में कतर की एक अदालत ने भारतीय नौसेना के आठ पूर्व कर्मियों की मौत की सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया था। दोहा स्थित एक कंपनी में काम करने वाले पूर्व नौसेना अधिकारियों को जासूसी के आरोप में अगस्त 2022 में गिरफ्तार किया गया था। इस घटना ने विदेशों में कैद भारतीयों के मुद्दे और कानूनी लड़ाई में उनकी सहायता के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कदमों की ओर सभी का ध्यान खींचा। नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, 10152 भारतीय नागरिक विभिन्न महाद्वीपों के 86 देशों की जेलों में या तो विचाराधीन कैदी के रूप में या किसी अपराध के दोषी के रूप में बंद हैं।

सबसे अधिक भारतीय नागरिक बंद

खाड़ी देशों और अन्य एशियाई देशों की जेलों में सबसे अधिक भारतीय नागरिक बंद हैं। सबसे अधिक 2633 भारतीय नागरिक सऊदी अरब की जेलों में बंद हैं, जबकि 2518 भारतीय नागरिक संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) की जेलों में बंद हैं और 1317 भारतीय नागरिक नेपाल की जेलों में बंद हैं। 288 भारतीय नागरिक ब्रिटेन की जेलों में बंद हैं जबकि 169 भारतीय नागरिक अमेरिकी जेलों में बंद हैं। एशियाई देशों की बात करें तो कतर में 611, कुवैत में 387, मलेशिया में 338, बहरीन में 181 और ओमान में 148 भारतीय नागरिक कैद हैं। भारत के पड़ोसी या सार्क (दक्षिण एशियाई देशों) की स्थिति देखें तो सबसे ज्यादा भारतीय नागरिक नेपाल की जेलों में कैद हैं। उसके बाद पाकिस्तान में 266, चीन में 173, श्रीलंका में 98, भूटान में 69, म्यांमार में 27, मालदीव में 10, अफगानिस्तान में आठ और बांग्लादेश में सिर्फ चार भारतीय नागरिक कैद हैं।

चौंकाने वाले नेपाल के आंकड़े

अगर सार्क देशों की बात करें तो नेपाल में स्थिति चौंकाने वाली है। क्योंकि पाकिस्तान की जेलों में सिर्फ 266 भारतीय नागरिक कैद हैं, जबकि वह हमारा कट्टर दुश्मन देश है। भारत ने पाकिस्तान के साथ तीन बड़े युद्ध लड़े हैं। इन युद्धों के अलावा भारत और पाकिस्तान के बीच कई बार सीमा पर झड़पें भी हुई हैं। लेकिन सबसे ज़्यादा भारतीय कैदी नेपाल की जेलों में हैं, जो न सिर्फ़ हमारा पड़ोसी है, बल्कि हमसे काफ़ी मिलता-जुलता भी है। नेपाल और भारत के बीच बड़े और छोटे भाई का रिश्ता माना जाता है। आपको जानकर हैरानी होगी कि नेपाल की जेलों में करीब 300 भारतीय महिलाएँ भी कैद हैं।

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नेपाल में किन मामलों में भारतीय कैद हैं

फरवरी 2025 तक के आंकड़ों के मुताबिक नेपाल की जेलों में 1,317 भारतीय कैदी थे। ये कैदी अलग-अलग मामलों में कैद हैं। ज़्यादातर भारतीय नशीले पदार्थों से जुड़े अपराध, हत्या और डकैती जैसे गंभीर अपराधों के लिए जेल में बंद हैं। नेपाल में विदेशी नागरिकों को जल्दी रिहा नहीं किया जाता। विदेशी नागरिकों को यहाँ बहुत कम ही ज़मानत मिलती है। नेपाल के कानून वैसे भी विदेशियों के लिए ज़्यादा सख्त हैं। यहाँ आम आरोपियों को भी लंबे समय तक हिरासत में रखा जाता है। नेपाल में होने वाले कुछ बड़े अपराधों में सीमा शुल्क चोरी, जाली मुद्रा और नशीले पदार्थों की तस्करी शामिल हैं। नेपाल में 74 जेल हैं, जिनमें दो सरकारी किशोर सुधार गृह भी शामिल हैं। यहां आपको यह भी बता दें कि नेपाल के कानून अलग और सख्त होने के साथ-साथ उनकी जेलों की स्थिति भी भारत से खराब है।

विदेश में मदद करती है सरकार

भारत सरकार विदेशों में भारतीयों की सुरक्षा और कल्याण को उच्च प्राथमिकता देती है, जिसमें विदेशी जेलों में बंद भारतीय भी शामिल हैं। विदेशों में स्थित भारतीय मिशन सतर्क रहते हैं और स्थानीय कानूनों के उल्लंघन के लिए विदेश में भारतीय नागरिकों को कैद किए जाने की घटनाओं पर कड़ी नजर रखते हैं। जैसे ही किसी भारतीय मिशन को किसी भारतीय नागरिक की हिरासत या गिरफ्तारी की सूचना मिलती है, तो वह तुरंत स्थानीय विदेश कार्यालय और अन्य संबंधित स्थानीय अधिकारियों से संपर्क करता है ताकि हिरासत में लिए गए या गिरफ्तार किए गए भारतीय नागरिक तक कांसुलर पहुंच प्राप्त की जा सके। ताकि मामले के तथ्यों का पता लगाया जा सके, उसकी भारतीय राष्ट्रीयता की पुष्टि की जा सके और उसका कल्याण सुनिश्चित किया जा सके। मिशन यह सुनिश्चित करने के लिए सतर्क रहते हैं कि विदेशी जेलों में बंद भारतीय कैदियों के अधिकारों की रक्षा की जाए।

सहायता के लिए कोई शुल्क नहीं लिया जाता

विदेश में कैद भारतीयों को हर संभव सहायता प्रदान करने के अलावा, भारतीय मिशन आवश्यकता पड़ने पर कानूनी सहायता प्रदान करने में भी मदद करते हैं। मिशन उन स्थानों पर वकीलों का एक स्थानीय पैनल भी रखते हैं, जहाँ भारतीय समुदाय की संख्या अधिक है। संबंधित भारतीय दूतावास द्वारा प्रदान की जाने वाली सुविधाओं के लिए किसी भी भारतीय कैदी से कोई शुल्क नहीं लिया जाता है। भारतीय मिशनों और विदेशों में स्थित केंद्रों में भारतीय समुदाय कल्याण कोष (ICWF) की स्थापना की गई है, ताकि योग्य मामलों में संकट में फंसे प्रवासी भारतीय नागरिकों की सहायता की जा सके। ICWF के तहत प्रदान की जाने वाली सहायता में कानूनी सहायता के साथ-साथ प्रत्यावर्तन के दौरान भारतीय कैदियों को यात्रा दस्तावेजों और हवाई टिकटों के लिए वित्तीय सहायता भी शामिल है।

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सरकार क्षमा या छूट भी प्रदान करती है

विदेशी जेलों में बंद भारतीय नागरिकों की रिहाई और प्रत्यावर्तन का मुद्दा नियमित रूप से भारतीय मिशनों और विदेशों में स्थित केंद्रों द्वारा संबंधित स्थानीय अधिकारियों के साथ उठाया जाता है। इसके अलावा, सरकार विदेशों में अपने मिशनों/केंद्रों के माध्यम से और उच्च-स्तरीय यात्राओं के दौरान विदेशी देशों में भारतीय कैदियों की सजा में छूट या छूट की सुविधा भी प्रदान करती है। भारत ने कई देशों के साथ कैदी स्थानांतरण संधियाँ भी की हैं, जिसके तहत किसी अपराध के लिए दोषी ठहराए गए व्यक्ति को उसकी जेल की सज़ा काटने के लिए उसके गृह देश में स्थानांतरित किया जा सकता है। 2014 से जनवरी 2024 तक, भारत सरकार द्वारा विभिन्न माध्यमों से किए गए प्रयासों के परिणामस्वरूप 4,597 भारतीय नागरिकों को विदेशी सरकारों द्वारा क्षमा या छूट दी गई है।

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