India News (इंडिया न्यूज), Jesus Crucifixion Day: जब ईसा मसीह को सूली पर लटकाया गया था तब इस दौरान सूरज काला हो गया था और चांद खून से लाल हो गया था। लेकिन सवाल यह है कि क्या वाकई में ऐसा हुआ हुआ भी था या फिर यह कपोल कल्पना मात्र है? ईसाई धर्म में ईसा मसीह को ईश्वर का पुत्र माना जाता है। ईसाई धर्म की मान्यताओं के अनुसार ईश्वर ने उन्हें अज्ञानता और अंधकार को मिटाने के लिए धरती पर भेजा था। वे दुनिया में ईश्वर की महिमा का गुणगान करते थे और धर्म का प्रचार करके लोगों को ज्ञान के बारे में बताते थे। उस समय यहूदी कट्टरपंथी धार्मिक नेताओं ने ईसा मसीह का विरोध किया और रोमन गवर्नर पिलातुस से उनकी शिकायत की। रोमन साम्राज्य को हमेशा डर लगा रहता था कि कहीं यहूदी विद्रोह न कर दें। इसी वजह से ईसा मसीह को सूली पर लटकाकर मार दिया गया। लेकिन क्या सच में इसके बाद अजीबो गरीब घटनाएं घटी थी।
नासा ने दिया ईसा मसीह से जुड़ा सबूत
नासा की एक खोज से यह साबित हो सकता है कि ईसा मसीह को सूली पर चढ़ाया गया था, जिसके बारे में बाइबिल में लिखा है। बाइबिल में कहा गया है कि जब ईसा मसीह को सूली पर चढ़ाया गया था, तब सूरज काला हो गया था और चांद खून से लाल हो गया था। कुछ विद्वानों का मानना है कि इस घटना का जिक्र बाइबिल में भी है। इतिहास के ज़रिए पृथ्वी, चंद्रमा और सूर्य की स्थिति का पता लगाने वाले नासा के मॉडल बताते हैं कि शुक्रवार, 3 अप्रैल, 33 ईसवी को चंद्रग्रहण हुआ था। यह वही साल है जब पारंपरिक तौर पर ईसा मसीह की मृत्यु हुई थी।
आखिर उस दिन हुआ क्या था?
यह ब्रह्मांडीय घटना सूर्यास्त के तुरंत बाद यरुशलम में दिखाई दी होगी और चंद्रमा की स्थिति के कारण इसका रंग लाल हो गया होगा। बाइबल इतिहासकारों का मानना है कि नासा द्वारा पहचाना गया चंद्रग्रहण वही है जिसके बारे में बाइबल में लिखा गया है। नासा द्वारा की गई यह खोज 1990 के दशक में की गई थी, लेकिन अब यह TikTok पर वायरल हो रही है। क्योंकि हाल ही में गुड फ्राइडे को ईसाइयों के बीच उसी दिन के रूप में जाना जाता है जिस दिन ईसा मसीह को सूली पर चढ़ाया गया था।
कल बंगाल में होने वाला कुछ बड़ा? दहाड़ने वाली ममता बनर्जी की अचानक क्यों बंद हो गई बोलती
क्या वाकई सूरज काला और चाँद लाल हो गया था?
नासा के अनुसार, ‘ईसाई धर्मग्रंथों में उल्लेख है कि ईसा मसीह को सूली पर चढ़ाए जाने के बाद चाँद खून की तरह लाल हो गया था। ऐसा शायद चंद्रग्रहण की वजह से हुआ होगा, क्योंकि इस दौरान चाँद लाल हो जाता है।’ अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी ने कहा कि विद्वानों ने सूली पर चढ़ाये जाने की संभावित तिथि शुक्रवार, 3 अप्रैल, 33 ई. निर्धारित की है, क्योंकि उस दिन चंद्रग्रहण था।