महाराष्‍ट्र खासकर नासिक में प्‍याज ने किसानों की हालत खराब कर रखी है। इतना ही नहीं वो किसानों को रुला रही है। दरअसल फसल की उचित दाम नहीं मिलने के कारण प्‍याज के किसान परेशान हैं और इस के विरोध में वे अपनी प्‍याज की पूरी खेती को जला रहे हैं। इसके जरिये उन्‍होंने सरकार के खिलाफ अपने रोष और विरोध का इजहार किया है। बता दें

कृष्‍णा भगवान डोंगरे ने बयां कि अपनी सम्स्या

प्‍याज किसानों की समस्‍याओं पर बात करते हुए एक किसान कृष्‍णा भगवान डोंगरे ने कहा, “प्‍याज लगाने का अब तक खर्च मुझे करीब सवा लाख रुपये आ चुका है। इस प्‍याज को मार्केट में ले जाने के लिए करीब 30 हजार रुपये का खर्च मुझे और आने वाला था। ऐसे में मेरे इस खर्च की वसूली भी नहीं होने वाली थी। आज की स्थिति देखी तो महाराष्‍ट्र के किसान को दो-दो रुपये (प्रति किलो) मिल रहा है। इसलिए मुझे प्‍याज जलाना पड़ रहा है।”

सरकार को नहीं आई दया

इस सवाल पर कि बेचने पर इस प्‍याज से आपको कितने रुपये मिलते, इस किसान ने कहा, “25 हजार या 26 हजार रुपये ही मिल पाते। मेरे जेब से पांच हजार रुपये और चले जाते। मेरे सवा लाख रुपये तो पहले ही चले गए, करीब पांच हजार रुपये का और घाटा मुझे झेलना पड़ता। ऐसे में मुझे इस प्‍याज की फसल को जलाना पड़ रहा है।” किसानों की मुश्किलों को लेकर सरकार से क्‍या कहना चाहेंगे, इस सवाल पर कृष्‍णा भगवान डोंगरे ने कहा, “15 दिन से महाराष्‍ट्र और महाराष्‍ट्र के बाहर लोगों का मालूम था कि उचित दाम नहीं मिलने पर किसान प्‍याज की फसल जलाने वाले हैं। लेकिन शासन की ओर से किसी का फोन नहीं आया, किसी ने सहानुभूति नहीं दिखाई। किसी ने कहीं कहा कि यह मत करो, रुको, हम कुछ करेंगे और किसान के पीछे खड़े रहेंगे, इस कारण प्‍याज जलाने का काम पूरा करना पड़ा।”

महाराष्‍ट्र का किसान पूरी तरह से हतोत्‍साहित

उन्‍होंने कहा, “मैं केंद्र सरकार से यह निवेदन करना कहना चाहता हूं कि मेरी प्‍याज तो जल चुकी है लेकिन महाराष्‍ट्र का किसान, पूरी तरह से हतोत्‍साहित हो चुका है। वह आत्‍महत्‍या करने पर मजबूर है। इसके लिए केंद्र सरकार को दीर्घकाल के लिए प्‍याज के निर्यात की इजाजत देनी चाहिए। ” उन्‍होंने कहा, “महाराष्‍ट्र सरकार से मैं कुछ नहीं कहना चाहता। महाराष्‍ट्र के सीएम को इस स्थिति के बारे में मालूम था। उन्‍हें अपने खून से लिखा हुआ पत्र मैंने डाला था। मैं सीएम साहब से कहना चाहता हूं कि मेरे जिस्‍म का पूरा खून निकाल लो लेकिन किसानों की समस्‍याओं पर ध्‍यान दीजिए। ”

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