India News (इंडिया न्यूज), Micrometeorites Showers On Moon: कविता में चांद का बहुत ज़िक्र है। एक कवि इसे अलग नज़रिए से देखता है। जबकि एक वैज्ञानिक इसे अलग नज़रिए से देखता है। चांद पृथ्वी का एक प्राकृतिक उपग्रह है जो पृथ्वी की परिक्रमा करता है। चाँद की कुल आयु 4.51 अरब साल है। वैज्ञानिक अभी भी इस बात पर शोध कर रहे हैं कि चाँद कैसे बना।

जिस तरह से पृथ्वी पर बारिश होती है, चांद पर नहीं होती. क्योंकि बारिश के लिए एक वायुमंडल की ज़रूरत होती है जो चांद पर नहीं है । लेकिन चांद पर एक अलग चीज़ की बारिश होती है। जहाँ पृथ्वी पर बारिश कई चीज़ों को जीवन देती है, वहीं चांद पर इस चीज़ की बारिश कई चीज़ों को नष्ट कर देती है। आइये आपको बताते हैं कि ये चीज़ क्या है।

चांद पर बरसती है ये ख़तरनाक चीज़

चांद पृथ्वी से 3,84,000 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। ये पृथ्वी का प्राकृतिक उपग्रह है। और सौरमंडल का 5वां  सबसे बड़ा उपग्रह है। चाँद पर अक्सर माइक्रोमेटेओराइट यानी छोटे उल्कापिंड गिरते रहते हैं. आपने चाँद पर गड्ढों के बारे में तो सुना ही होगा. चांद की सतह पर ये गड्ढे इन सूक्ष्म उल्कापिंडों की बारिश की वजह से बनते हैं।

आपको बता दें कि सूक्ष्म उल्कापिंड यानी छोटे उल्कापिंड बहुत तेज गति से चांद की सतह पर गिरते हैं। ये 20 से 25 किलोमीटर प्रति सेकंड की रफ्तार से चांद पर गिरते हैं। जब ये एक साथ गिरते हैं तो ऐसा लगता है जैसे बारिश हो रही हो। इससे चांद की सतह को काफी नुकसान पहुंचता है। इन सूक्ष्म उल्कापिंडों की वजह से वहां मौजूद हर चीज नष्ट हो जाती है।

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ये चीजें भी चांद के लिए खतरनाक

सिर्फ सूक्ष्म उल्कापिंड यानी छोटे उल्कापिंड ही चांद की सतह पर गिरकर उसकी सतह को नुकसान नहीं पहुंचाते। बल्कि दूसरी चीजों का भी चांद पर काफी असर पड़ता है। इसमें गामा किरणें भी शामिल हैं। ये काफी मात्रा में रेडिएशन उत्सर्जित करती हैं। इससे भी चांद की सतह को नुकसान पहुंचता है। इसके अलावा सूर्य से आने वाली सौर हवा और प्लाज्मा की बारिश भी चांद की सतह पर गिरती है। इससे भी चांद की सतह को काफी नुकसान पहुंचता है।

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