India News (इंडिया न्यूज), Dr. Velumani Story: हम सब के मन में करोड़पति व्यक्तियों को लेकर एक अलग ही छवि होती है। आलेशान जिंदगी, आगे पीछे नौकर चाकर। पर क्या आपण कभी सोच है? जिसके पास 5000 करोड़ रुपये से ज्यादा की संपत्ति हो। बड़ा कारोबार, पूरी दुनिया में नाम और तमाम सुख-सुविधाएं। क्या ऐसा व्यक्ति अपने किचन में बर्तन धोएगा और उसकी पत्नी खाना बनाएगी, शायद नहीं। लेकिन, हाल ही में एक भारतीय व्यवसायी ने सोशल मीडिया पर तस्वीरें पोस्ट कर न सिर्फ ऐसा करने का राज खोला, बल्कि शादीशुदा लोगों को एक संदेश और सुझाव भी दिया।

हम बात कर रहे हैं थायरोकेयर के संस्थापक डॉ. ए वेलुमनी की, जिन्होंने हाल ही में दो तरह के लोगों के बारे में अपनी राय शेयर की। एक वो जो खाना बनाना सीखते हैं और दूसरे वो जो इसे समय की बर्बादी मानते हैं। उनके मुताबिक, पहली श्रेणी के लोग मजबूत रिश्ते और खुशहाल शादीशुदा जिंदगी का लुत्फ उठाते हैं, जबकि दूसरी श्रेणी के लोग, भले ही वे अमीर परिवार में शादी कर लें, अक्सर रिश्तों को बनाए रखने के लिए संघर्ष करते हैं।

इस स्थिति पर क्या कहा अरबपति ने?

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ईक्स पर अपनी दिवंगत पत्नी सुमति वेलुमनी को श्रद्धांजलि देते हुए उन्होंने लिखा, खाना पकाने की कला एक महत्वपूर्ण जीवन कौशल है। खास तौर पर उन घरों में जहां आय 5 से 25 लाख रुपये के बीच है। उन्होंने सुझाव दिया कि जो माता-पिता अपने बच्चों को खाना बनाना नहीं सिखाते हैं, उन्हें बाद में इसका पछतावा हो सकता है, क्योंकि भोजन भावनात्मक बंधन बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। चाहे आप कितने भी अमीर क्यों न हों।

अगर आप कामकाजी हैं, तब भी महत्वपूर्ण है किचन

डॉ. वेलुमणि ने कहा कि उनकी पत्नी ने एसबीआई में अपने पेशेवर करियर के बावजूद परिवार की जिम्मेदारियों और काम को बहुत खूबसूरती से संभाला। उन्होंने कहा, जब उनकी पत्नी रसोई में खाना बनाती थीं, तो वह खुशी-खुशी बर्तन धोते थे। यह उनकी साझेदारी में एक छोटा लेकिन महत्वपूर्ण योगदान था।

सोशल मीडिया पर शुरूहो गई बहस

डॉ. वेलुमणि की इस पोस्ट पर सोशल मीडिया ने भी जमकर प्रतिक्रिया दी। एक यूजर ने लिखा, साथ में खाना बनाना सिर्फ एक हुनर ​​नहीं है, इससे रिश्ते मजबूत होते हैं। गहरे रिश्ते सिर्फ पैसे कमाने के लिए नहीं बनते। एक यूजर ने कहा कि मैंने हाल ही में अपने बेटे के साथ मिलकर खाना बनाना शुरू किया है, जो एक बुनियादी जीवन कौशल है। खाना एक-दूसरे से भावनात्मक स्तर पर जुड़ने में भी मदद करता है।

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कामत ने भी दे चुके हैं सुझाव

इससे पहले जीरोधा के निखिल कामत ने बताया था कि जब वे सिंगापुर में थे, तो उनसे मिलने वाले ज़्यादातर लोग घर पर खाना नहीं बनाते थे और कुछ के घर में किचन भी नहीं था। उन्होंने बताया कि वहाँ के लोग ज़्यादातर बाहर ही खाते हैं और इसकी तारीफ़ भी की। इससे उन्हें यह सोचने पर मजबूर होना पड़ा कि क्या भारत भी इस चलन को अपना सकता है, ख़ासकर अर्थव्यवस्था और जीवनशैली में आए बदलावों के कारण। इससे पहले करीना कपूर ख़ान की डायटीशियन ने कहा था कि अमीर लड़कों की बातों पर ध्यान न दें। घर का बना खाना न सिर्फ़ बाहर के खाने से ज़्यादा सेहतमंद होता है, बल्कि साथ मिलकर खाने से पारिवारिक रिश्ते भी मज़बूत होते हैं।

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