India News (इंडिया न्यूज), Underwater Nuclear Weapons System: पहलगाम आतंकी हमले के जवाब में  7 मई को भारतीय सेना ने पाकिस्तान और पाक अधिकृत कश्मीर में घुसकर 9 आतंकी ठिकानों को तबाह कर दिया। भारतीय सेना के इस पराक्रम को देख पूरी दुनिया दंग रह गई। महज 25 मिनट की कार्रवाई में भारतीय वायुसेना के पराक्रम का लोहा दुनिया ने माना। भारत ने जल, थल और नभ तीनों ही सेनाओं के जरिए पाकिस्तान को कड़ी टक्कर दी। अब भारतीय सेना के हथियारों की भी खूब चर्चा हो रही है। इस समय दुनिया में दो देशों के पास ऐसे हथियार हैं जो समुद्र के अंदर जाकर सुनामी ला सकते हैं। इनमें से एक भारत का करीबी दोस्त भी है। अमेरिका और चीन जैसे बड़े देश भी डर में जी रहे हैं।

रूस के पास पोसाइड

रूस के पास पोसाइडन है, जो एक परमाणु ऊर्जा से चलने वाला अंडरवॉटर ऑटोनॉमस हथियार है, जिसे स्टेटस-6 या कैन्यन के नाम से भी जाना जाता है। रूसी मीडिया ने इसे पहली बार 2015 में दिखाया था, जब इसे एक सीक्रेट स्लाइड में ‘स्टेटस-6 ओशनिक मल्टीपर्पज सिस्टम’ के तौर पर बताया गया था। यह एक अंडरवॉटर ड्रोन है जो परमाणु हथियार से लैस है। मार्च 2018 में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने इसे छह नए सुपर-हथियारों में से एक के तौर पर पेश किया था। मई 2022 में एक रूसी टीवी एंकर ने दावा किया था कि पोसाइडन 500 मीटर ऊंची रेडियोधर्मी सुनामी से ब्रिटेन को डुबो सकता है।

10,000 किलोमीटर है रेंज

पोसाइडन एक अंतरमहाद्वीपीय परमाणु ऊर्जा से चलने वाला ऑटोनॉमस टारपीडो है। यह मिसाइलों से धीमा है लेकिन इसे रोकना मुश्किल है। इसकी रेंज 10,000 किलोमीटर है और यह 1000 मीटर की गहराई पर भी काम कर सकता है। यह 100 नॉट की गति से चलता है और ट्रैकिंग डिवाइस से बच सकता है। इसका व्यास 1 मीटर है और यह दो मेगाटन का परमाणु हथियार ले जा सकता है। इसके विस्फोट से रेडियोधर्मी सुनामी आ सकती है, जिससे जमीन बंजर हो जाएगी। इसे डूम्सडे ड्रोन भी कहा जाता है। रूस 2027 तक इसे अपनी नौसेना में शामिल करने की योजना बना रहा है।

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उत्तर कोरिया के पास भी अंडरवाटर न्यूक्लियर वेपन

उत्तर कोरिया ने पिछले साल जनवरी 2024 में अंडरवाटर न्यूक्लियर वेपन सिस्टम का परीक्षण किया था। यह ऐसा कदम है जिससे हिंद-प्रशांत क्षेत्र में तनाव बढ़ेगा। उत्तर कोरिया के रक्षा मंत्रालय ने कहा था कि यह परीक्षण जापान सागर में किया गया, जहां ‘हाल-5-23’ नाम के ड्रोन का इस्तेमाल किया गया। इसे पहली बार अंडरवाटर न्यूक्लियर अटैक ड्रोन के तौर पर 2023 की शुरुआत में टेस्ट किया गया था।

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